6000 students currently denied admission in Mumbai
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  • पहले सत्र पर लटकी तलवार
  • नवंबर से मई तक हो ग्यारहवीं का शैक्षणिक सत्र
  • शिक्षकों का सुझाव

सूरज पांडेय 

मुंबई. मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इफ़ेक्ट 11वीं की प्रवेश प्रक्रिया पर भी दिखा है. 10 सितंबर को जारी होने वाली दूसरी मेरिट लिस्ट को टाल दिया गया है. कोरोना के कारण देर से शुरू हुई प्रवेश प्रक्रिया अब कोर्ट के निर्णय के बाद अधर में लटकी हुई है. इसका परिणाम विद्यार्थियों के प्रथम सत्र पर देखने को मिल रहा है. शिक्षकों की माने तो ग्यारहवीं के प्रथम सत्र पर तलवार लटक रही है.

आमतौर पर ग्यारहवीं की पहली 3 मेरिट लिस्ट अगस्त के अंत तक घोषित कर दी जाती है, लेकिन इस वर्ष अब तक केवल पहली मेरिट लिस्ट की घोषणा हुई है. आगे की प्रक्रिया को लेकर अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है.ऐसे में इस बार पहले सत्र की बलि चढ़ सकती है.जूनियर कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकुंद आंधलकर ने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए ग्यारहवीं का पहला सत्र  मुश्किल ही लग रहा है.प्रवेश प्रक्रिया कब पूरी होगी? कब कॉलेज खुलेंगे? कब पढ़ाई शुरू होगी? कम समय में पूरा एक सत्र का सिलेबस कैसे पूरा होगा? यह विद्यार्थियों से अधिक शिक्षकों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है. 

सिलेबस में कटौती हो

अध्यक्ष मुकुंद आंधलकर ने कहा कि सरकार को सिलेबस में कटौती करने के साथ-साथ नवंबर से मई तक का शैक्षणिक सत्र रखना चाहिए. इससे शिक्षकों और विद्यार्थियों पर से काफी बोझ कम होगा. 

अभिभावकों को देना होगा ध्यान

वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए अभिभावकों को अपने बच्चों की पढ़ाई पर और भी ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. एमएमआर में 60 फीसदी विद्यार्थी गैर अंग्रेजी माध्यम से आते हैं. कॉलेज के पहले दो महीने तो उन्हें सेट होने में चले जाते हैं.इस बार उन्हें इतना समय नहीं मिलेगा.ऑनलाइन पढ़ाई में भी शिक्षक पढ़ा तो देंगे, लेकिन विद्यार्थियों को कितना समझ में आया है इसका आंकलन करना कठिन होने की बात प्रो. मुकुंद ने कही.

शिक्षकों पर भी प्रेशर

विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए शिक्षकों का भी प्रशिक्षण जरूरी है. 30 प्रतिशत शिक्षक अभी भी ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यदि विद्यार्थियों का परफॉर्मेंस ठीक नहीं रहा तो अंत में शिक्षकों पर ही उंगली उठने की बात शिक्षकों ने कही.