Governor Koshyari asked universities to spread awareness on organ donation

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  • अवसाद से निपटने के लिए राज्यपाल का सुझाव

मुंबई. कोरोना संकट में कई महीनों से घरों में रह रहे छात्रों और युवाओं के लिए शिक्षकों को काउंसलर की भूमिका निभानी होगी. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राजभवन में कॉलेज शिक्षकों के लिए राष्ट्रकवि तुकडोजी महाराज, नागपुर विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान और छात्र विकास विभाग द्वारा आयोजित ‘मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रशिक्षण’ पर 7 दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि यदि हमें देश को प्रगति पथ ले जाना है तो ऐसे माहौल में घर पर रहें, सुरक्षित रहें, और सावधान रहें, इन आदर्शोंं को अपनाना होगा.

भगवत गीता के अध्ययन से मिलेगी मदद

 राज्यपाल ने कहा कि मनुष्य में अवसाद एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है. न केवल छात्र, बल्कि शिक्षक, किसान और राजनीतिज्ञ भी कई बार निराश होते हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रवृत्ति को अध्ययन, भक्ति और समर्पण की भावना से दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गहरे अवसाद से बाहर निकाला और उन्हें अपना कर्तव्य करने के लिए निर्देशित किया. ऐसी ही भूमिका शिक्षकों को भी निभानी होगी.

लोकमान्य तिलक के आदर्श अपनाएं

राज्यपाल ने याद दिलाया कि लोकमान्य तिलक ने भी जेल में रहकर बिना निराश हुए गीता रहस्य का निर्माण किया. राज्यपाल ने कहा कि सुकरात, प्लेटो, कन्फ्यूशियस, ताओ, साथ ही पवित्र ग्रंथों को पढ़ने से अवसाद को कम करने में मदद मिल सकती है. इस सिलसिले में उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप के आदर्शों का अध्ययन करने से मुश्किल घड़ी आसानी से कट जाती है.  कार्यशाला का आयोजन शिक्षकों को परामर्शदाता के रूप में बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया और उनके माध्यम से कॉलेज स्तर पर छात्रों के लिए परामर्श केंद्र शुरू किया जा रहा है. उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के प्रभारी उपकुलपति डाॅ. मुरलीधर चांडेकर ने किया. इस अवसर पर क्यू-वाइस चांसलर डॉ. सुभाष चौधरी, मनोचिकित्सक डॉ. सुधीर भावे आदि उपस्थित थे.