मुंबई. मुंबई (Mumbai) में कोरोना की दूसरी लहर के रफ्तार पकड़ते ही ब्लैक फंगस (Black Fungus) ने भी जोर पकड़ लिया था। कोरोना की रफ्तार थमते ही मुंबई में ब्लैक फंगस का खतरा भी टल गया है। राज्य (State) में इलाज के लिए भर्ती (Admitted) 804 मरीजों में से 436 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, 212 सक्रिय मरीजों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। मुंबई में ब्लैक फंगस के सिर्फ 70 एक्टिव मरीज (Active Patients) रह गए हैं।
ब्लैक फंगस ने दिखा दिया कि आंख, नाक और मस्तिष्क पर हमला करने वाले फंगल रोग भी जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेरॉयड टोसिलाजुमैब का ओवरडोज बीमारी का कारण बनता है। ब्लैक फंगस के मरीज मिलने के बाद बीएमसी ने टास्क फोर्स द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार व्यवस्था तैयार की थी। ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज बीएमसी के केईएम, नायर, सायन और कूपर अस्पताल समेत निजी अस्पतालों में चल रहा है। बीमारी के इलाज के लिए इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन-बी, लैपोसोम और टैबलेट पॉसोकोनाजोल का इस्तेमाल किया जा रहा है। अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने कहा कि जरूरत पड़ने पर नाक और आंखों की सर्जरी कर संक्रमण को दूर किया जा रहा है और इलाज में मरीजों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। उन्होंने बताया कि मुंबई में इलाज करा रहे 30 फीसदी मरीज ही मुंबई के हैं।
ऐसे है मौजूदा हालात
- बीएमसी और निजी अस्पतालों में अब तक ब्लैक फंगस के 804 मरीज भर्ती हुए हैं। इनमें से 156 की मौत हो गई। वर्तमान में 212 एक्टिव मरीज हैं।
- मुंबई में अब तक ब्लैक फंगस के कुल 232 मरीज मिल चुके हैं। इनमें से 47 की मौत हो गई।115 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। अब सिर्फ 70 सक्रिय मरीज हैं।
- मुंबई से बाहर के 532 मरीज मुंबई में भर्ती थे। इनमें से 109 की मौत हो गई, 321 लोगों को छुट्टी दे दी गई है, जबकि 142 सक्रिय मरीज हैं।
बरते सावधानी
ब्लैक फंगस होने के बाद आंखों में खुजली होने, लाल होने, सूजन और दर्ज के अलावा नाक से दुर्गर्ध आने जैसे लक्षण दिखते हैं तो सावधान हो जाना चाहिए। तुरंत डॉक्टरों की सलाह से इलाज कराना चाहिए। बीएमसी अपील किया है कि लोगों से अपनी सेहत का ध्यान रखने की अपील की है।