मुंबई में काली-पीली फिएट का मीटर डाउन, दिसंबर के बाद सड़कों पर नजर नहीं आएगी

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  • 55 हजार से 500 पहुंची संख्या

मुंबई. कभी महानगर मुंबई के सड़कों की शान रही काली-पीली फिएट टैक्सी जल्द ही इतिहास जमा होने जा रही है.बताया गया है कि दिसंबर 2020 तक मुंबई की काली-पीली फिएट गौरवशाली अतीत का हिस्सा बन जाएगी. फिरोजा या पद्मिनी टैक्सी को मुंबईकर प्यार से ‘काली पीली’ कह कर बुलाते रहे हैं.

साल 1962 में आई फिएट टैक्सी

वर्ष 1962 में फिएट सुपर सिलेक्ट टैक्सी सबसे पहले मुंबई की सड़क पर दौड़ी और 2007 से अंतिम एडिशन मुंबई की सड़कों पर चलाई जा रही है.वैसे 1954 में फ़िएट,इटली के लाइसेंस के तहत प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड (पाल) में यह कार लॉन्च की गई थी.पहली कार उद्योगपति वालचंद हीराचंद ने खरीदी थी.1990 के दशक में मुंबई में 55,000 से अधिक फिएट काली- पीली कैब थी.समय-समय पर मुंबई की फिल्मों में इसका इस्तेमाल किया गया और कहानी के केंद्र के रूप में देव आनंद इन टैक्सी ड्राइवर के रूप में, साधु और शैतान में महमूद की प्यारी लैला, खुदा-दिल में अमिताभ की पसंदीदा बसंती इन नामों से भी जाना गया.1965 से कई वर्षों तक फिएट के मॉडल में कोई बदलाव नहीं हुआ.

जनवरी 1975 में रिलॉन्च किया गया

जनवरी 1975 में कुछ कॉस्मेटिक अपग्रेड के पद्मिनी के रूप में रिलॉन्च किया गया,जिसका नाम 14 वीं शताब्दी की मेवाड़ राजकुमारी के नाम पर रखा गया.

दिसंबर 2020 तक चलाने की अंतिम तिथि निर्धारित 

दिसंबर 1976 तक फिएट की वातानुकूलित टैक्सियों को पहली बार पेश किया गया. अक्टूबर 1989 में पहली डीजल पद्मिनी टैक्सियों को लॉन्च किया गया.इस समय मुंबई की सड़कों पर नाम-मात्र काली-पीली फिएट रह गई है.मुंबई व डोम्बीवली में प्रीमियर कंपनी की दो बड़ी यूनिटें बंद होने के बाद इनका उत्पादन ही बंद हो गया.आरटीओ ने इन काली-पीली ऎतिहासिक टैक्सियों को दिसंबर 2020 तक मुंबई की सड़कों पर चलाने की अंतिम तिथि निर्धारित की है.