कोविड को शिकस्त देने के लिए अध्ययन में जुटी BMC

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    सूरज पांडे

    मुंबई. मुंबई (Mumbai) में कोविड दूसरी लहर (Second Wave) शांत होने के बाद अब बीएमसी (BMC) का पूरा फोकस तीसरी लहर (Third Wave) को आने से कैसे रोका जाए इस बात पर है। ऐसे में बीएमसी ने अब कोरोना को शिकस्त देने के लिए एक साथ कई अध्ययन करने का मन बना लिया है। बीएमसी के प्रमुख अस्पतालों के डॉक्टर्स और आईआईटी बॉम्बे के सहयोग से बीएमसी रिसर्च शुरू करने की तैयारी में जुट गई है।

    कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान बीएमसी ने ‘मेरा परिवार, मेरी जिम्मेदारी’,  ‘मिशन सेव लाइव्स’ और ‘ब्रेक द चैन’ जैसे कई नीतियों को बनाया और उस पर अमल किया गया। बीएमसी को अच्छे परिणाम भी मिले, लेकिन बीएमसी यह जानना चाहती है कि कौनसी नीति सबसे ज्यादा असरदार और लाभदायक साबित हुई है। 

    कोरोना को रोकने के लिए कई नीतियों पर काम किया

    अतिरिक्त मनपा आयुक्त सुरेश काकानी ने बताया कि हमने कोरोना को रोकने के लिए कई नीतियों पर काम किया है। अब कोरोना को नियंत्रण लाने के लिए कौनसी नीति सबसे ज्यादा कारगर साबित हुई है यह भी एक जांच का विषय है। एक बार हमें पता चल जाएगा तो कोरोना के खिलाफ आगे की रणनीति बनाने में हमें मदद मिलेगी। इसमें हम मुंबई के कई नामचीन संस्थानों के सहयोग से शोध करेंगे और परिणाम ढूंढने की कोशिश करेंगे।

    कुछ वार्डों में केसेस कम इसकी पर शोध

    मुंबई के 4 वार्ड में 2 जून तक बी वार्ड में 3,809 मामले, सी वार्ड में 6629, ए वार्ड में 15,514 और एफएस वार्ड में 19607 में सबसे कम कोरोना केसेस मिले हैं, जबकि के वेस्ट में 51,675, आर सेंट्रल में 48,517, के ई में 44010 और आर एस 43263 सबसे अधिक केस मिले। उक्त आंकड़ों को देख बीएमसी की भी उत्सुकता बढ़ गई है कि अब बीएमसी इस पर शोध करेगी क्या ऐसा कारण है कि कुछ वार्डों में मामले कम और कुछ में इतना अधिक है। इसको लेकर बीएमसी 4 से 5 वार्डों में शोध करेगी क्या वहां मनपा के नीतियों की वजह से केसेस कम हुए है या फिर लोगों की इम्युनिटी स्ट्रांग है।

    आईआईटी, मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों की लेंगे मदद

    बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उक्त रिसर्च के लिए आईआईटी बॉम्बे, मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों का सहयोग लिया जाएगा। मेडिकल के विद्यार्थियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे जितना हो सके कोरोना पर अध्ययन कर उसके निष्कर्ष जर्नल में प्रकाशित करें।