16 corona patients died due to lack of oxygen in Nepal
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    मुंबई. कोरोना (Corona) की दूसरी लहर (Second Wave) से सबसे अधिक प्रभावित देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) ने जिस तरह से ऑक्सीजन संकट (Oxygen Crisis) की समस्या का उपाय निकाला अब पूरे देश में इसी मॉडल को अपनाने की चर्चा हो रही है। मुंबई उच्च न्यायालय ने बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल (BMC Commissioner Iqbal Singh Chahal) को निर्देश दिया है कि वे राज्य की दूसरी महानगरपालिकाओं को भी अपनी कार्यप्रणाली साझा करें। फिलहाल मुंबई महानगरपालिका ऑक्सीजन निर्माण के जिस प्रकार त्वरित कदम उठाए हैं उसके कदम आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चले हैं। 

    बीएमसी के अस्पतालों में ऑक्सीजन सरप्लस हो गया है इसलिए अब मुंबई के प्राइवेट अस्पतालों को भी बीएमसी ऑक्सीजन देने का निर्णय किया है। मुंबई में एक समय ऐसा भी था कि ऑक्सीजन की कमी के कारण प्राइवेट अस्पताल मरीजों को भर्ती करने से ही इंकार कर रहे थे। कुछ अस्पतालों में केवल दो घंटे का ऑक्सीजन बचा था। 

    बीएमसी कमिश्नर खुद रात भर करते रहे मॉनिटर

    बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल खुद रात भर जाग कर मरीजों को कोविड सेंटरों में शिफ्ट कराने और ऑक्सीजन पहुंचाने तक मॉनिटर करते रहे।   उनकी इस तत्परता से 168 मरीजों की जान बचाई जा सकी। इकबाल सिंह चहल ने कहा कि हमने इसे आपातकाल के तौर पर लेते हुए ऑक्सीजन का प्रावधान 210 मीट्रिक टन से बढ़ा कर 235 मीट्रिक टन रोजाना कर दिया है। इससे ऑक्सीजन की कमी का तनाव बीएमसी पर से कुछ हद तक कम हो गया है। 

    सायन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं 

    मुंबई उपनगर के मध्य भाग में लोकमान्य तिलक अस्पताल सायन सबसे महत्वपूर्ण अस्पताल है। यहां पर धारावी, सायन, माटुंगा, वडाला, मानखुर्द, गोवंडी के मरीज इलाज कराने आते हैं। अस्पताल के डीन डॉ. मोहन जोशी ने बताया कि दूसरी लहर में यहां पर ऑक्सीजन की उपयोग की क्षमता दोगुना बढ़ गया है। जिसे बीएमसी प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराया जा रहा है। अब यहां ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है।

    पहली लहर से लिया सबक

    कोरोना की पहली लहर से सबक लेते हुए बीएमसी ने दूरगामी कदम उठा लिए थे। मुंबई के अस्पतालों में पिछले साल ही कई ऑक्सीजन टैंकों का निर्माण कर लिया गया था। पिछले साल मई और जून में छह अस्पतालों और कई जंबो कोविड सेंटरों में 15 बड़े और 11 छोटे तरल मेडिकल ऑक्सीजन टैंकों ने मुंबई में ऑक्सीजन संकट से निपटने में बहुत काम आए। बीएमसी के एडिशनल कमिश्नर पी वेलरासू (प्रकल्प) ने कहा कि अतिरिक्त एलएमओ टैंकों के निर्माण करने से हमें कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना करने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि टैंक्स के निर्माण, फिटिंग और पाइपिंग पर करीब 14 करोड़ से अधिक खर्च हुए हैं। जब हम  यह कर रहे थे तो उस वक्त हमें नहीं पता था कि उनका किस तरह से उपयोग किया जाएगा, फिर भी हम इस योजना पर आगे बढ़े और ऑक्सीजन सप्लाई के उस बुनियादी ढांचे का निर्माण किया।

    10 नये एलएमओ टैंक बनाने की योजना

    अब कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए भी मुंबई ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।  बीएमसी ने जुलाई और सितंबर के बीच आने वाली संभावित तीसरी लहर की तैयारी में 10 और एलएमओ टैंक बनाने की योजना बना रही है। अभी बीएमसी संचालित दो अस्पताल कस्तूरबा अस्पताल और एचबीटी ट्रॉमा केयर में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र हैं। जिसमें प्रति मिनट 500 घन मीटर और 1,740 घन मीटर क्षमता के पीएसए तकनीकी पर आधारित ऑक्सीजन प्लांट कार्यरत हैं। अन्य 12 बड़े अस्पतालों में इसी तकनीकी पर आधारित 45 मैट्रिक टन क्षमता के 16 ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण चल रहा है। बीएमसी के अन्य अस्पतालों  में एलएमओ टैंक हैं, जिन्हें प्रतिदिन कम से कम एक बार रिफिल किया जाता है। अन्य अस्पताल ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर हैं। सभी अस्पतालों में सिलेंडर को बैकअप के रूप में रखना अनिवार्य है। संकट की स्थिति से निपटने के लिए बीएमसी ने जरूरतमंद अस्पतालों में सिलेंडर और कंसंट्रेटर के लिए छह त्वरित प्रतिक्रिया वाहनों को तैनात किया है। पी वेलारासू ने बताया कि 16 प्लांट के निर्माण में 90 करोड़ रुपये लागत आने की संभावना है। बीएमसी के अस्पतालों में हमेशा के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध हो जाएगा। ऑक्सीजन सिलेंडर भी संभालने की आवश्यकता नहीं होगी। 

    कैसे करता है काम

    पीएसए तकनीक पर आधारित ऑक्सीजन प्लांट में पहले हवा को योग्य दबाव पर जमा किया जाता है। फिर उस हवा को फिल्टर किया जाता है। हवा में अशुद्ध तत्व जैसे धूल, तेल, सूक्ष्म कण सहित अन्य तत्वों को अलग कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद शुद्ध वायु ऑक्सीजन जनरेटर में जमा कर ली जाती है। ऑक्सीजन जनरेटर में Zeolit रसायनयुक्‍त मिश्रण के द्वारा शुद्ध वायु से  नायट्रोजन और ऑक्‍स‍ीजन को अलग कर लिया जाता है। ऑक्सीजन को मरीजों तक पहुंचा दिया जाता है। बीएमसी को अभी नवी मुंबई और गुजरात के जामनगर से ऑक्सीजन मंगाने की जरूरत पड़ रही है। बीएमसी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट तैयार होने के बाद यहां के ऑक्सीजन पर से निर्भरता कम हो जाएगी।