The city's first animal electric incinerator will start in Mumbai, plans to set up an area of 2500 sq.

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  • पता लगाया जाएगा क्यों हो रही हैं मौतें 

मुंबई. मार्च महीने से मुंबई में कोरोना वायरस के फैलने और इसका ग्राफ ऊपर जाने के बाद अगस्त में कोरोना के केसेस बढ़ने का सिलसिला कम तो हुआ है पर मृत्यु दर में कोई कमी नहीं हो रही है. यही फैक्ट बीएमसी प्रशासन के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. इसी पर लगाम लगाने के लिए बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने एक महीने बाद “मिशन सेव लाइफ” को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है.

 मुंबई में अभी तक कोरोना के 1 लाख 28 हजार 535 मरीज हैं, जिनमें से 7 हजार 38 मरीजों की मौत हो चुकी है और 1 लाख 1 हजार 860 मरीज ठीक हो चुके हैं. वर्तमान में कोरोना के 19 हजार 337 ऐक्टिव मरीज हैं. मरीजों के ठीक होने की दर 79 प्रतिशत है और इनकी संख्या डबल होने की दर 87 दिन हो गई है. पर इन सबके बावजूद डेथ रेट के मामले कम नहीं हो रहे हैं और पूरे देश में अहमदाबाद के बाद दूसरे नंबर पर बना हुआ है.

 कमिश्नर ने की थी ‘सेव लाइफ स्ट्रेटजी’ की घोषणा 

इससे पहले मृत्यु दर कम नहीं होने पर बीएमसी  कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने जून महीने के आखिर में ‘सेव लाइफ स्ट्रेटजी’ की घोषणा की थी और उन्होंने डॉक्टरों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी निश्चित की थी. उन्होंने मृत्यु होने के प्रमुख कारणों का ऑडिट करने का भी आदेश दिया था जिसमें पता चला कि रात 1 बजे से सुबह 5 बजे के दौरान मरीज बड़े पैमाने पर आक्सीजन निकाल शौचालय आदि के लिए जाते हैं. कमिश्नर ने मरीज के बेड के पास पॉट रखने का आदेश भी दिया था. बावजूद इसके मृत्युदर में कमी नहीं आने से अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है. मुंबई में मृत्यु दर 5.5 प्रतिशत पर बनी हुई है और इसे 3% पर लाने के लिए कमिश्नर ने अब ‘मिशन सेव लाइफ’ फिर से शुरू किया है.

मृत्यु के कारण पता करेंगे सहायक कमिश्नर

इस मिशन के तहत बुजुर्ग और कोरोना के लक्षणीय मरीजों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. प्राइवेट अस्पतालों में होने वाली मौतों का भी ऑडिट किया जाएगा. सहायक मनपा आयुक्तों को भी निर्देश दिया गया है कि वे पता करें कि मरीज की मृत्यु किन परिस्थितियों और कारणों से हुई है. इसके अलावा किस स्टेज पर मरीज की मौत हो रही है. स्थिति गंभीर होने का कारण क्या है. इन सब पर विशेष ध्यान देने का आदेश कमिश्नर ने दिया है.

सोमवार को होगी अहम बैठक

मुंबई में मृत्यु दर कम करने के सभी प्रयत्न निष्फल साबित हो रहे हैं. बीएमसी का कहना है कि निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम के कारण मृत्यु दर बढ़ रही है. बीएमसी अतिरिक्त कमिश्नर सुरेश काकानी ने बताया कि निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स की समस्या क्या है, यह जानने के लिए सोमवार को महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है. काकानी ने बताया कि बीएमसी अस्पतालों में कुल मौतों में जहां 80% मौतें होती थी अब वहां 60 से 65% मौतें हो रही हैं. निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में जहां 20% मृत्यु होती थी, वहां बढ़ कर 35 % से 40% मौतें हो रही हैं. मृत्यु दर कम क्यों नहीं हो रही है, यह जानने के लिए बैठक बुलाई गई है. गौरतलब है कि जून में मृत्यु दर 5.9% थी जो जुलाई में 4.8% पर आ गई है. बीएमसी ने उम्मीद जताई है कि अगस्त महीने में इसमें और गिरावट आएगी.