केंद्र ने पर्दाफाश होने के डर से कोरेगांव भीमा मामले की जांच एनआईए को सौंपी : पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकां) के प्रमुख शरद पवार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कोरेगांव भीमा में हुई हिंसा का मामला इस डर से राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया है कि

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मुंबई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकां) के प्रमुख शरद पवार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कोरेगांव भीमा में हुई हिंसा का मामला इस डर से राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया है कि महाराष्ट्र सरकार की नई जांच भाजपा नीत पिछली सरकार की संदिग्ध कार्रवाई का भंडाफोड़ कर देगी। पवार ने दावा किया कि राज्य की शिवसेना-राकां-कांग्रेस सरकार ने मामले की तह में जाने के लिए कुछ कदम उठाने के फौरन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मामले को एनआईए को सौंप दिया। पवार ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि हिंसा तत्कालीन भाजपा नीत सरकार द्वारा पुलिस की मदद से रची गई साजिश का नतीजा थी और एसआईटी से मामले की जांच कराने की मांग की थी। इसके कुछ दिनों के भीतर ही मामले को केंद्रीय एजेंसी को सौंप दिया गया है।

पवार ने दावा किया, “ उप मुख्यमंत्री (अजित पवार) और गृह मंत्री (अनिल देशमुख) ने तथ्यात्मक स्थिति को जानने के लिए (पुलिस अधिकारियों की) एक बैठक बुलाई थी। लेकिन उसके चार-पांच घंटे के अंदर केंद्र ने जांच अपनी एजेंसी को सौंप दी।” उन्होंने कहा कि एनआईए अधिनियम के तहत केंद्र सरकार को (मामला स्थानांतरित करने को लेकर) कुछ अतिरिक्त अधिकार मिल गए हैं, लेकिन कानून- व्यवस्था का विषय राज्य का है। उन्होंने मामले को ‘जल्दबाज़ी’ में एनआईए को सौंपने को लेकर सवाल भी किया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ इससे इन आरोपों में आधार दिखाता है कि कुछ अधिकारियों ने बेगुनाहों समेत लोगों को गिरफ्तार करने के अधिकारों का दुरुपयोग किया है। ” केंद्रीय गृह मंत्रालय के फैसले को संदिग्ध बताते हुए पवार ने कहा, “मेरे ख्याल से यह (राज्य सरकार की नई जांच गत सरकार का) भंडाफोड़ देगी और इससे बचने के लिए यह किया गया है।” राकांपा प्रमुख ने इस मामले में गिरफ्तार वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले कार्यकर्ताओं को ‘माओवादी’ बताने पर भी सवाल किया। पवार ने दावा किया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कोरेगांव भीमा हिंसा मामले पर विधानसभा में बोलते हुए किसी भी माओवादी संबंध के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया था।

पवार ने राज्य सरकार से मामले की जांच करने वाले अधिकारियों के “‍‍व्यवहार” की जांच करने को कहा। शिवसेना नेता और गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकार ने शुक्रवार को कहा था कि गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं के खिलाफ सबूत हैं। पुणे पुलिस के मुताबिक, 31 दिसंबर 2017 में पुणे में एल्गार परिषद का सम्मेलन हुआ था। इसको माओवादियों का समर्थन प्राप्त था और कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिस वजह से अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक पर हिंसा हुई।