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  • चंद्रकांत पाटिल का आरोप
  • अशोक चव्हाण पर साधा निशाना

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मुंबई. राज्य में मराठा आरक्षण (Maratha reservation) का मुद्दा एक बार फिर गरम हुआ है. सर्वोच्च न्यायालय में अस्थायी स्थगिति हटाने को लेकर सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों के अनुपस्थित रहने के मामले में भाजपा (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil)  ने सार्वजनिक निर्माण मंत्री और मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण पर निशाना साधा है. उन्होंने वकीलों के अनुपस्थित रहने को षडयंत्र का एक हिस्सा बताया है.

बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने ट्वीट कर कहा है कि  मराठा समाज को आरक्षण देकर अपने युवाओं का भविष्य सुरक्षित करना राज्य के समक्ष बड़ी चुनौती है. शैक्षणिक प्रवेश प्रक्रिया अवरूद्ध हुई है. एमपीएससी परीक्षा नहीं हो रही है. यह सब कुछ केवल राज्य सरकार के मनमानी काम काज का नतीजा है. राज्य सरकार बोल कुछ रही है और कर कुछ रही है. अपने भविष्य पर तलवार लटकता देख कुछ युवा अंतिम निर्णय ले रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय में जो कुछ भी घटना हुई. उसके लिए एक ही विचार दिमाग में कौंध रहा है. इतना संवेदनशील विषय होने के बावजूद राज्य सरकार इतनी अधिक गैर जिम्मेदार कैसे हो सकती है. अस्थायी स्थागिति हटाने के मामले में सुनवाई अचानक तय नहीं हुई थी. वह पूर्व नियोजित थी.इसके बावजूद महत्वपूर्ण सुनवाई के समय सरकार की तरफ से नामित वकील गैर हाजिर रहे.इस तरह का गैरजिम्मेदाराना मामला ढूंढने से भी दूसरा नहीं मिलेगा. ऊपर से अशोक चव्हाण का यह कहना कि तकनीकी दिक्कत की वजह से वकील अदालत में अनुपस्थित रहे. यह उनके मराठा समाज के आत्मीयता को दर्शाता है.

वकीलों का गैरहाजिर रहना षड्यंत्र का हिस्सा 

पाटिल ने कहा है कि पीछे की तरफ जब हम देखते हैं तो यह साबित होता है कि कांग्रेस कभी भी मराठा समाज को आरक्षण नहीं देना चाहती थी और अब भी नहीं देना चाहती है. सुनवाई के दौरान वकीलों का गैरहाजिर रहना इसी षड्यंत्र का हिस्सा है, लेकिन जनता अब समझदार हो गई है. अब ऐसे षडयंत्रों का शिकार नहीं होगी.