vijay Wadettivar

  • कैबिनट में उठेगा मुद्दा, मंत्री वडेट्टीवार का ऐलान
  • बिजली बिल माफ़ नहीं करने पर बवाल

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मुंबई. महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार में कांग्रेस मंत्रियों को फंड नहीं मिलने से एक बार फिर विवाद गहरा गया है. कैबिनेट मंत्री विजय वडेट्टीवार ने कहा है कि जिस तरह एसटी महामंडल को संकट से उबारने के लिए सरकार की तरफ से स्पेशल पैकेज का ऐलान किया गया है, उसी तरह लॉकडाउन के दौरान बढ़ी हुई बिजली बिल पर लोगों को राहत देने के लिए ऊर्जा विभाग को भी स्पेशल पैकेज मिलना चाहिए. उन्होंने कहा है कि वे इस मुद्दे को गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में उठाएंगे. 

महाराष्ट्र सरकार में परिवहन मंत्रालय शिवसेना के पास है, जबकि ऊर्जा विभाग कांग्रेस के पास है. ऐसे में वडेट्टीवार के इस बयान से एक बार ठाकरे सरकार के अंदर कांग्रेस मंत्रियों के साथ सौतेला व्यवहार के मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है.

श्रेय लेने की होड़

सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार के अंदर शामिल शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच बिजली बिल पर राहत देने का श्रेय लेने को लेकर खटपट है. शिवसेना और एनसीपी को लगता है कि यदि लोगों को बढ़ी बिजली बिल पर 50 फीसदी की राहत दी जाती है तो उसका सीधा फायदा कांग्रेस खाते के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत और उनकी पार्टी को मिलेगा. ऐसे में शिवसेना और एनसीपी इस राहत को देने के फैसले से पीछे हट गए हैं. यही वजह है कि फंड की कमी की वजह से ऊर्जा मंत्री राउत ने लोगों को किसी भी तरह की राहत देने से इंकार कर दिया है. पूर्व ऊर्जा मंत्री और बीजेपी नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने भी आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र सरकार के अंदर श्रेय लेने की होड़ की वजह से लोगों को राहत देने के फैसले को वापस ले लिया गया है.

सरकार में कोई मतभेद नहीं

जल संवर्धन मंत्री और एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने इस बात से इंकार किया है कि फंड के बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार में शामिल दलों के अंदर कोई मतभेद है. उन्होंने कहा कि पूरी सरकार मजबूती से काम कर रही है. यदि किसी मंत्री को शिकायत है तो उसे आपसी विचार-विमर्श से सुलझा लिया जाएगा.   

थोरात और चव्हाण ने उठाया था मुद्दा

इससे पहले कांग्रेस मंत्रियों को फंड नहीं मिलने के मुद्दे को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात और पीडब्लूडी मंत्री अशोक चव्हाण ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. इन मंत्रियों ने आरोप लगाया था कि कई अहम फैसलों को लेने से उनकी राय नहीं ली जाती है. वहीं कई बार कांग्रेस मंत्रियों के अधीन काम करने वाले अधिकारियों का तबादला उनकी जानकारी के बिना कर दिया जाता है.उस समय सीएम ठाकरे ने कांग्रेस मंत्रियों की शिकायतों को दूर करने का आश्वासन दिया था, लेकिन लगता है कि कांग्रेस मंत्रियों की खटास दूर नहीं हुई है.

क्या है मामला

मंगलवार को ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि ग्राहकों को मीटर रीडिंग के आधार पर बिजली बिल भरना होगा. इससे पहले लॉकडाउन के दौरान बढ़े हुए बिजली बिल पर राउत ने पुनर्विचार करने का आश्वासन देते 50 फीसदी रियायत देने का आश्वासन दिया था.  

केंद्र सरकार पर फोड़ा ठीकरा

ऊर्जा मंत्री राउत ने इसका पूरा ठीकरा केंद्र सरकार के सिर फोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि ग्राहकों को राहत देने के लिए महाराष्ट्र सरकार प्रयास कर रही थी, लेकिन इसमें केंद्र सरकार से सहायता नहीं मिली. राउत ने कहा फडणवीस सरकार के शासनकाल में महावितरण की बकाया रकम 50 हजार करोड़ तक पहुंच गई थी. उन्होंने कहा कि अब महावितरण ज्यादा कर्ज लेने की स्थिति में नहीं है. 

बिजली बिल नहीं भरने की अपील

वंचित आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए आम जनता से बिजली बिल नहीं भरने की अपील की है. उन्होंने कहा कि आखिर किस मंत्री ने ग्राहकों को 50 फीसदी छूट देने के फैसले को पलट दिया. आंबेडकर ने यह सवाल मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी पूछा है. उन्होंने लोगों से कहा है कि जब तक सरकार बिजली बिलों के भुगतान पर 50 प्रतिशत की छूट नहीं देती, वे बिल का पेमेंट नहीं करें.

जोर का झटका धीरे से

पूर्व मंत्री व बीजेपी विधायक आशीष शेलार ने कहा कि बिजली बिल पर रियायत नहीं देकर महाराष्ट्र सरकार ने लोगों को जोर का झटका धीरे से दिया है. उन्होंने कहा कि पहले उर्जा मंत्री राउत ने बिजली बिल पर 50 फीसदी की छूट देने का वादा किया था, लेकिन अब वे इससे पलट गए हैं. यह पूरी तरह से अनैतिक है.