मुंबई. कोरोना संकट से लड़ने में सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की हालत खास्तहाल हो गई है। कोरोना (Corona) की पहली लहर में संक्रमण की स्थिति उत्तर प्रदेश में बहुत कम थी, लेकिन दूसरी लहर ने स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Facilities) की पूरी खोल कर रख दी। खासकर गांवों में कोरोना का संक्रमण विकराल रूप दिखा रहा है जहां मेडिकल स्टोर्स पर बुखार का टेबलट तक नहीं मिल रहा है। यूपी में गांवों में कोरोना मरीजों की हालत बहुत खराब है। न बेड की सुविधा और न ही ऑक्सीजन की। यहां तक कि मेडिकल स्टोर पर दवाएं भी नहीं मिल रही हैं। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाएं नहीं मिलने के कारण लोग अब दूसरे राज्यों में कोरोना का इलाज करने के लंबी दूरी की यात्रा करने पर मजबूर हो रहे हैं।
ऐसे ही एक मामला सामने आया है। यूपी में बेड के लिए दो दिन भटकने के बाद शमशाद खान नामक व्यक्ति एंबुलेंस में 1500 किमी का रास्ता तय कर मुंबई पहुंचे। शमशाद का ऑक्सीजन लेवल 80 पर आ गया था। शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। मुंबई पहुंचने में 26 घंटे लगे। इस बीच उनका ऑक्सीजन लेवल गिर कर 50 पर आ गया था। उनके रिस्तेदारों ने मुंबई के एक अस्पताल में पहले ही बेड की व्यवस्था कर रखी थी। फिलहाल शमशाद अब ठीक हो चुके हैं।
पूरे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में मुंबई अव्वल
कोरोना मरीजों में वृद्धि के कारण मुंबई हमेशा लोगों के लिए साफ्ट टार्गेट पर रहती है। लेकिन आज भी पूरे देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में मुंबई अव्वल है। कोरोना की पहली लहर के बाद जिस तरह से मुंबई की स्वास्थ्य सुविधाओं पर फोकस किया गया वैसा अन्य राज्यों में देखने को नहीं मिला। देश की राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश , गुजरात, पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने की अनदेखी करते रहे। इसका परीक्षण कोरोना की दूसरी लहर में दिखाई दे रहे रही है जहां दवा के अभाव में लोगों की मौत हो रही है। शवों को बिना अंतिम संस्कार किए नदियों में प्रवाहित कर दिया जा रहा है। शवों को जलाने के लिए अब लकडियां भी कम पड़ने लगी हैं। महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत बेहतर नहीं है। एमएमआर के अलावा राज्य के दूसरे क्षेत्रों से भी लोग मुंबई इलाज कराने आ रहे हैं।
इलाज के लिए किया जा रहा भर्ती
बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी का कहना है मुंबई इसकी गवाह है कि महामारी के शुरुआत से ही जो मुंबई के निवासी नहीं हैं उनको भी यहां इलाज के लिए भर्ती किया जा रहा है। मुंबई में इलाज के लिए आने वाले कोरोना मरीजों में ठाणे, नवी मुंबई, कल्याण, पनवेल ,पालघर के मरीज भर्ती हुए ही हैं साथ में दूसरे राज्यों से भी मरीज भर्ती होने के लिए सड़क और हवाई मार्ग से पहुंचे। ऐसे मरीजों की संख्या मुंबई में मिले कोरोना के कुल मरीजों का 10 प्रतिशत थी। बीच में आईसीयू बेड के लिए जो तनाव था उसका एक कारण यह भी था क्योंकि दूसरे राज्य से आने वाले मरीजों की अधिकतर संख्या गंभीर मरीजों की थी।