कोरोना वायरस : मुंबई की स्थिति के लिए BMC और सरकार जिम्मेदार – सांसद मनोज कोटक

Loading

मुंबई. वर्तमान में देश में कोरोना का संकट दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही मरीजों की संख्या भी बड़ी मात्रा में बढ़ रही है। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू है। वर्तमान में लॉकडाउन का चौथा चरण है। लेकिन इसी दौरान मरीजों की संख्या में भारी मात्रा में बढ़ोतरी हो गई है। देश में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले महाराष्ट्र के मुंबई में है। इस बिच मुंबई की स्थिति बहुत चिंताजनक है। इसलिए मुंबई प्रशासन और राज्य सरकार को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़  रहा है। इन्ही चुनौतियों पर चर्चा करने आज नवभारत के कोविड-19 ई-चर्चा में मुंबई के सांसद श्री मनोज कोटक जी उपस्थित थे। इस दौरान उन्होंने कोरोना वायरस के कारण राज्य में पैदा हुई परिस्थिति और चुनौतियों से अवगत कराया।  

मुंबई में कोरोना की स्थिति पर श्री कोटक ने कहा कि, वर्तमान में मुंबई की स्थिति पुरे विश्व में काफी चिंताजनक है। मुंबई में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए मुंबई की तुलना न्यूयॉर्क और मास्को के साथ की जा रही है। मुंबई की यह स्थिति प्रशासन में आपसी तालमेल और राजनेताओं के निर्णय क्षमता के अभाव के कारण निर्माण हो गई है। इसलिए लोगों ने लॉकडाउन का गंभीरता से पालन नहीं किया और घरो से बाहर निकले और संक्रमित हुए। आगे उन्होंने कहा, यदि हमें मुंबई को इस संकट से बाहर निकालना है, तो हम मुंबईकर ही इसे बाहर निकल सकते है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना यही एकमात्र उपाय है। इस लॉकडाउन के चलते सभी को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। आगे लॉकडाउन हटने के बाद भी मुंबई के लोगों ने जान और जहान को ध्यान में रखते हुए खुद के साथ शहर को बचाने के लिए सावधानी बरते। 

#LIVE : मनोज कोटक, ‘कोविड के पश्चात: लॉकडाउन चुनौतियां’ विषय पर चर्चा कर रहे हैं

#LIVE : मनोज कोटक, ‘कोविड के पश्चात: लॉकडाउन चुनौतियां’ विषय पर चर्चा कर रहे हैं।

NavaBharat यांनी वर पोस्ट केले शुक्रवार, २९ मे, २०२०

सांसद ने आगे बताया कि, मुंबई एक धनि शहर है इसके बावजूद यहां की आबादी को देखते हुए मुंबई में वेंटिलेटर की बहुत कमी है। सरकार को दो महीने का पर्याप्त समय मिलने के बाद भी मुंबई में स्वास्थ्य सुविधा का अभाव है। साथ ही सरकार ने मुंबई में जो कोरोना केयर सेंटर खोले है, वो भी मैनपॉवर की कमी के कारण अब तक कार्यान्वित नहीं हुए है। इन कोरोना केयर सेंटर के लिए डॉक्टर ढूंढने में सरकार और महानगर पालिका को बड़ी दिक्कतें आ रही है। उन्होंने कहा कि, पिछले 12 दिनों से मुलुंड में 125 बेड का अस्पताल तैयार है लेकिन डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ नहीं मिलने के कारण शुरू नहीं हुआ है। इसलिए इन परिस्थिति में अपनी रक्षा करनी है, तो हमें अपने आप को सुरक्षित रखना होगा। यही कोरोना से बचने के लिए एकमात्र उपाय है। 

सांसद ने यह भी कहा कि, लॉकडाउन खत्म होने का मतलब कोरोना वायरस ख़त्म हुआ ऐसा नहीं है। लेकिन मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और इसे ज्यादा दिनों के लिए बंद नहीं रखा जा सकता। इसलिए शहर में उद्योग, व्यापार , छोटे-बड़े दुकानें शुरू करनी पड़ेगी। 

प्रवासी मजदूरों के बारे सांसद ने कहा, लॉकडाउन के दौरान जब मुंबई में काम करने आये प्रवासी मज़दूर पैदल अपने घर जा रहे थे तब बहुत एनजीओ सामने आई। उन्हें खाना दिया। साथ ही भाजपा की ओर से 100 से अधिक मेडिकल कैंप लिए जिसे लोगों को बहुत फायदा हुआ। सांसद ने बताया कि, लॉकडाउन के दौरान उन्होंने कम्युनिटी किचन शुरू किया। इन किचन द्वारा गरीब, मज़दूर और श्रमिकों को नाश्ता, खाना और पानी दिया जाता था। इस दौरान लगबघ 12 लाख लोगों तक खाना पहुंचाया गया और अभी भी यह कार्य शुरू है। सांसद ने कहा, इस कम्युनिटी किचन की मदद से मुंबई के लोगों को भुखमरी का सामना नहीं करना पड़ा। जब महानगर पालिका ने लोगों को खाना बाँटना शुरू किया तब थोड़ा लोड कम हुआ। फिर भी अपने क्षेत्र के लोगों के लिए राशन किट बांटने का काम शुरू रखा। 

मुंबई में कोरोना के बढ़ते मामलों पर उन्होंने कहा, लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण में स्थिति नियंत्रण में थी लेकिन तीसरे और चौथे चरण में यह मामले तेजी से बढ़ने लगे। क्योंकि, इन लॉकडाउन के दौरान लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। साथ प्रशासन ने इसकी और अनदेखा किया। किसी नए इलाके में कोरोना का मरीज मिलता है, तो पहले उस इलाके को सील करके सानीटाईज़ कर वहा के लोगों की जांच होती थी। लेकिन वर्तमान में स्वास्थ्य अधिकारियों को संबंधित इलाकों में पहुंचने के लिए दो-दो दिन लग रहे है। सिस्टम अपने आप में लड़खड़ा रहा है। इसके अलावा सब्जी, फल और दवाई लेने के बहाने लोग बे वजह बाहर निकलते है। इसलिए इन दिनों कोरोना के मामले बढ़ रहे है। 

निजी अस्पताल में 80 प्रतिशत बेड सरकार ने अपने कब्ज़े लिए इसपर संसद ने कुछ सवाल उठाए। उन्होंने कहा, सरकार ने कब्ज़े में लिए निजी अस्पताल के 80 प्रतिशत बेड कहा है? सरकार और महापालिका इन बेड की संख्या घोषित करें? मरीज़ों के इलाज के इन बेड का उपयोग शुरू करें। साथ ही उन्होंने कहा, एशिया खंड में सबसे धनाढ्य महापालिका जिसे बोलते है उसके पास मुंबई के लोगों का फ्री में इलाज नहीं कर सकती? महापालिका के अधिकारी मुंबई की जनता को क्यों दिलासा नहीं दे रहे है की हम कोरोना मरीज़ों का पूरा खर्च उठाएंगे? इसके अलावा 6-6 घंटो तक मरीज के लिए एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं होती। पुलिस कर्मचारियों के लिए भी एम्बुलेंस नहीं मिल रही है। भर्ती होने गए मरीज को 10-10 घंटे बेड नहीं मिलते। ऐसी स्थिति मुंबई हो गई है। इसके लिए पूरी तरह से सरकार और महापालिका जिम्मेदार है ऐसा सांसद मनोज कोटक ने आरोप लगाया। साथ उन्होंने मुंबई लोगों की कोरोना जांच मुफ्त में कराने की मांग की।    

अंत में राजनीतिक प्रश्न पूछे जाने पर श्री मनोज कोटक ने कहा, वर्तमान में भाजपा सरकार के साथ कोरोना की लड़ाई में साथ दे रही है। साथ ही राज्य सरकार जहा गलत है, वहां उन्हें उनकी गलती का अहसास दिलाना विपक्ष का काम है। और राज्य में विपक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस भी यही कर रहे है ऐसा उन्होंने कहा। इस कोरोना वैश्विक महामारी में भाजपा कोई राजनीति नहीं कर रही है। सरकार अस्थिर करने का काम भी नहीं कर रही है। श्री कोटक ने यह भी कहा कि, इतनी बड़ी संकट की घडी में वह राजनीति चल रही ऐसा सोच भी कैसा सकते है। देवेंद्र फडणवीस कहते कि, इस संकट में भारतीय जनता पार्टी का लक्ष्य केवल कोरोना का सामना करना है। 

अंत में उन्होंने लोगों से अपील की है कि, आज तक लोगों ने जैसे संयम बनाके रखा, ऐसा ही संयम 31 मई के बाद भी बनाए रखे। खुद के साथ-साथ समाज बचाए। यदि आपके इलाके में कोई कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसकी मदद करे। हमें कोरोना से लड़ना है न की मरीज से।