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  • शिक्षक, छात्र व यूनियन की मांग- 40% से 50% कटौती हो

मुंबई. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं और बारहवीं कक्षा के सिलेबस में हुई 30% की कटौती के बाद  महाराष्ट्र बोर्ड में भी सिलेबस में कटौती की मांग तेज हो गई है. कई शैक्षणिक संस्थानों, शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों से लेकर शिक्षक यूनियन ने भी मौजूदा शैक्षणिक सत्र के सिलेबस में कटौती की मांग की है. सभी का कहना है कि जिस तरह से मुंबई सहित महाराष्ट्र में कोरोना का सबसे ज्यादा संकट है, उससे सिलबस में कटौती होनी ही चाहिए. फर्क सिर्फ इतना है कि कोई 50% कहता है तो कोई 40% अथवा कोई 30% कटौती की मांग कर रहा है, इस सिलसिले में शिक्षा विभाग की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. इस संबंध में शिक्षा मंत्री ने कुछ नहीं कहा है. इसलिए शिक्षकों और छात्रों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. वैसे लोगों का कहना है कि कटौती तो होगी. अंतर सिर्फ इतना है कि यह कटौती सिलेबस के किस भाग से और कितने प्रतिशत की होगी.

सिर्फ सेकंड यूनिट व सेमेस्टर टेस्ट हो

 प्रधानाध्यापक गोरखनाथ राजुरे ने कहा कि शैक्षणिक सत्र का काफी नुकसान हो चुका है, क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए शिक्षा पूरी नहीं हो पा रही है. 40% से 50% छात्रों के पास लैपटॉप या मोबाइल नहीं है और कुछ छात्र कोरोना महामारी के चलते गांव चले गए हैं, इसलिए जो चैप्टर पढ़ाए जाते हैं उसमें भी छात्र पारंगत नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि महामारी की विभीषिका को देखते हुए सितंबर तक तक शैक्षणिक कार्यक्रम प्रभावित होगा, इस लिहाज से शिक्षा विभाग को सिर्फ सेकंड यूनिट टेस्ट और सेकंड सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करनी चाहिए. उस लिहाज से सिलेबस में शुरुआती 50% की कटौती करनी उचित होगी. 

शिक्षा से ज्यादा जरूरी जान 

शिक्षक सेना यूनियन के अध्यक्ष के.पी. नाईक ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते छात्रों का काफी नुकसान हो चुका है और सितंबर, अक्टूबर तक कोरोना के समाप्त होने की कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही है, इसलिए सिलेबस में 40% तक कटौती होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वैसे इस महामारी के कारण 1 साल छात्रों की शिक्षा नहीं भी होगी तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. पहले हमारी प्राथमिकता छात्रों और शिक्षकों की जान बचाने की होनी चाहिए.

कम से कम 30% कटौती हो

शिक्षक सभा के महासचिव के. के. सिंह ने कहा कि  सिलेबस में कम से कम 30% की कटौती की जानी चाहिए और यह कटौती उन चैप्टर को देखकर होनी चाहिए, जिससे छात्रों और शिक्षकों को अध्ययन और अध्यापन में दिक्कत ना हो. उन्होंने कहा कि एकाएक ऑनलाइन क्लास शुरु कर देना, अच्छी बात नहीं है, क्योंकि अधिकांश छात्रों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है और जिनके पास है, उनके अभिभावक मोबाइल लेकर अपनी ड्यूटी पर चले जाते हैं. जिन छात्रों के पास इस तरह का मोबाइल है, वे उसे सही तरीके से ओपन नहीं कर पाते हैं, इसलिए उनकी शिक्षा नहीं हो पा रही है. इसलिए स्ट्रक्चर और सुविधाओं की व्यवस्था किए बिना ऑनलाइन शिक्षा सफल नहीं हो रही है. कई छात्रों का कहना है कि हमारी पढ़ाई नहीं हो पा रही है. इसलिए सिलेबस में पहले 50 प्रतिशत चैप्टर कम किए जाएंं.