आर्थिक तंगी से कराह रहा है ढोल-ताशा पथक वर्ग

  • कोरोना ने हजारों कलाकारों की जीविका छीन ली

Loading

अरविंद सिंह 

मुंबई. कोरोना संक्रमण ने हर वर्ग को तबाह किया है. बैंड-बाजा वर्ग भी इससे अछूता नहीं रहा है. बेंजो और ढोल-नगाड़े बजा कर लोगों का मनोरंजन करने वाला ढोल-ताशा पथक वर्ग भी इस कोरोना महामारी में आर्थिक तंगी से कराह रहा है. महामारी के कारण पिछले 8 महीने से मुंबई में ढोल-ताशा पथक व्यवसाय बंद है. लोगों की कमाई ठप है. गणेशोत्सव और  नवरात्रोत्सव के अलावा शादी-विवाह में ढोल-नगाड़े और बेंजो का आयोजन बंद है.

 इससे इस वर्ग से जुड़े मुंबई में हजारों कलाकार बेराजगार हो गए हैं. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना ने हमें बर्बाद कर दिया, हमारी जीविका बंद हो गई है. सरकार भी हम लोगों पर ध्यान नहीं दे रही है. कलाकारों का कहना है कि जैसे सरकार ने कुछ वर्गों को छूट दी है, वैसे ही हमारे व्यवसाय को भी कुछ दिशा-निर्देशों के साथ शुरू करने का आदेश दे, ताकि हम अपनी जीविका शुरू कर सकें.

कलाकारों पर जीविका का संकट

जोगेश्वरी (पूर्व) के श्याम नगर स्थित संघर्ष ढोल-ताशा पथक के प्रमुख संदीप जाधव ने कहा कि उनका व्यवसाय पिछले 8 महीने से कोरोना के चलते बंद है. गणेशोत्सव, नवरात्रोत्सव और कुछ अन्य कार्यक्रमों में इस बार कोई कमाई नहीं हो सकी है. हमारी टीम में कुल 80 कलाकार हैं. उन्होंने कहा कि हर वर्ष इस सीजन में कार्यक्रमों से कुल 5 लाख रुपए की कमाई होती थी. इस वर्ष हमारा धंधा पूरी तरह ठप है, सभी लोग बेरोजगार हैं. टीम में कुछ नौकरी-पेशा लोग हैं, जिनसे पैसे लेकर मेंटीनेंस का कार्य किया जाता है. कमाई बंद होने से हम कोई सोशल एक्टिविटीज भी नहीं कर सके हैं. हम सरकार से कहना चाहते हैं कि हमारे बिजनेस को भी वह कुछ दिशा-निर्देशों के साथ शीघ्र शुरू करे.

कमाई पूरी तरह ठप

जोगेश्वरी (प) के अभिषेक घानेकर की अष्ट विनायक म्यूजिकल बीट्स टीम को पिछले 9 महीनों से कोई काम नहीं मिला है. कोरोना ने उनका सब कुछ बिगाड़ दिया है. उनकी बेंजो की टीम में कुल 18 कलाकार हैं. इसमें ज्यादातर लोग बेंजो टीम में हैं, कुछ लोग ढोल-ताशा बजाते हैं. सभी की आर्थिक परेशानियां बढ़ गई हैं. गणेशोत्सव और नवरात्रोत्सव के अलावा कुछ अन्य कार्यक्रमों से हर साल इस सीजन में करीब 6 लाख रुपए की कमाई हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण कमाई पूरी तरह ठप है. उन्होंने कहा कि हमने टीम के कुछ साथियों की मदद की है.

कोरोना समाप्त होने का इंतजार

विले-पार्ले (पूर्व) स्थित पार्लेश्वर प्रतिष्ठान के प्रमुख चेतन बेलकर ने कहा कि उनके ढोल-ताशा टीम में करीब 400 लड़के-लड़कियां हैं, सभी लोग गुड़ीपाड़वा, गणेशोत्सव और नवरात्रोत्सव कार्यक्रमों में शामिल होते हैं. जो कमाई होती है, उसे समाज सेवा के कार्य में लगाई जाती है. इस वर्ष कोई कार्यक्रम नहीं हो सका. पिछले 8 महीने से सब बंद है. उन्होंने कहा कि हम कोरोना संक्रमण के सामाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं जिससे फिर हम अपना कार्यक्रम शुरू कर सकें.

सरकार बिजनेस शुरू करने का आदेश दे

अंधेरी (पूर्व) के स्वरांगण ढोल-ताशा पथक के प्रमुख प्रतीक गायकर ने कहा कि हमरी टीम में कुल 60 कलाकार हैं. इसमें ज्यादातर कॉलेजों के लड़के-लड़कियां हैं. उन्होंने कहा कि इस बार कोरोना के कारण हमारा व्यवसाय पूरी तरह बंद है. हर साल इस सीजन में 2 लाख रुपए की कमाई होती थी. हमारी टीम में लोगों को पेमेंट नहीं दिया जाता है. जो कमाई होती है, उसे पुरुषार्थ और समाज सेवा के काम में दी जाती है. कोरोना काल में टीम के लड़के-लड़कियों को मदद की गई. कई लोगों के परिवार में कोरोना से पीड़ित लोगों की मदद की गई. उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि सरकार कुछ दिशा-निर्देशों के साथ हमें अपना बिजनेस करने के लिए छूट दे.