एटीएम, डेबिट और क्रेडिट कार्ड धारकों से धोखाधड़ी, दिल्ली से 4 आरोपी गिरफ्तार

  • पंतनगर की महिला को बनाया था धोखाधड़ी का शिकार

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शीतला सिंह

मुंबई. मुंबई में आए दिन लोग डेबिट, क्रेडिट और एटीएम कार्ड धारक जालसाजों के शिकार हो रहे हैं. जालसाज धोखाधड़ी के अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं. 

पंतनगर पुलिस ने ऐसे ही 4 जालसाजों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है, जो ‘shine.com’ से फोन करने और नौकरी मिलने का झांसा देकर एटीएम, क्रेडिट और डेबिट कार्ड धारक एक महिला को धोखाधड़ी का शिकार बनाया था. महिला के बैंक खाते से 8 लाख 16 हजार 300 रुपए का ट्रांजेक्शन कर पैसे निकाल लिए.

नौकरी मिलने का दिया झांसा

पंतनगर पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुहास कांबले ने बताया कि घाटकोपर (पूर्व) गरोडिया नगर में रहने वाली वैशाली सचिन कदम ने नौकरी के लिए www.shine.com पर अपना बाॅयोडाटा अपलोड किया थ. इसी दौरान 31 अगस्त को उनके मोबाइल पर विराज नामक व्यक्ति का फोन आया. उसने shine.com से फोन करने और उन्हें अच्छी नौकरी मिलने की बात कही. इसके लिए कुछ शुल्क भरना होगा. शुल्क की राशि पेटिएम से भेजिए. वैशाली उसके झांसे में आ गयी और उसे अपने एटीएम कार्ड और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी और OTP नंबर बता दिया. इसके बाद उनके बैंक खाते से 3 सितंबर तक यानी तीन दिनों में 8 लाख 16 हजार 300 रुपए का ट्रांजेक्शन हो गया.

कई लोगों को बनाया धोखाधड़ी का शिकार 

वैसाली ने पंतनगर पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवायी. वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक सुहास कांबले के मार्गदर्शन में सहायक पुलिस निरीक्षक अमोल माली और सहायक पुलिस निरीक्षक बाबा साहेब मिसाल की टीम ने जांच शुरू की. पुलिस की जांच में जालसाज के नंबर और बैंक अकाउंट के दिल्ली के एक फर्जी काॅल सेंटर का पता चला. 

फर्जी काॅल सेंटर पर छापा

मुंबई पुलिस टीम ने दिल्ली के उस काल सेंटर पर छापा मारा 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया. उनकी पहचान आशिक इक्बाल नजरुल हसन (27), राहूल तिलकराज (21), देवेश कुमार बिरपाल सिंह (23) और यूपी के बागपत निवासी आदित्य करण सिंह (25) के रूप में हुई है. इस फर्जी काॅल सेंटर को चलाने का मास्टर माइंड दिल्ली का रहने वाला राहूल है. उनके पास से 8 हार्डडिस्क, 52 सीम कार्ड, 2 पेन कार्ड, 12 डेविड कार्ड, 11 पेटियम कार्ड, 7 डोंगल, 3 सीडी और 23 मोबाइल समेत 1 लाख 75 हजार रुपए नकद जब्त किया गया है.

मोड्सअपरेंडी

पुलिस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपी फर्जी काल सेंटर से लोगों को फोन कर अपने को बैंक अधिकारी होने या नोकरी मिलने का दावा करते थे. वह झांसा देकर लोगों के बैंक के एटीएम कार्ड का डिटेल हाशिल कर लेते थे. इसके बाद उस व्यक्ति के बैंक खातों से पैसे का ट्रांजेक्शन विभिन्न बैंक खाते में कर लेते थे. फिर उन बैंक खातो से पैसे निकाल लेते थे. यह बैंक खाते ज्यादातर फर्जी नाम और पते पर होते हैं. ऐसे में आरोपियों को ट्रेस करना पुलिस के लिए मुश्किल होता है.