मुंबई. कंक्रीट का जंगल बन चुकी मुंबई (Mumbai) में संजय गांधी नेशनल पार्क (Sanjay Gandhi National Park) और आरे (Aare) को ऑक्सीजन का सबसे प्रमुख स्रोत माना जाता है। मुंबई में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए बीएमसी (BMC) अब जगह-जगह जापानी पद्धति ‘मियावाकी वन’ (Miyawaki Forest) से मुंबई को हराभरा करने पर काम कर रही है।
2 वर्ष पहले दिए गए ठेके से मुंबई में अब तक 24 ‘मियावाकी वन’ तैयार हो चुके हैं। 40 वनों के लिए काम जोरों से चल रहा है। इन वनों से हरियाली बढ़ने के साथ मुंबई को पर्याप्त ऑक्सीजन भी मिलेगा।
40 स्थानों पर चल रहा काम
बीएमसी के अनुसार, मुंबई में एक साल के भीतर 24 स्थानों पर ‘मियावाकी वन’ तैयार किए गए हैं। जिसमें 1 लाख 62 हजार 398 वृक्ष बड़े हो रहे हैं। मुंबई में अन्य 40 स्थानों पर ‘मियावाकी वन’ लगाने का काम जारी है। मियावाकी पद्धति से तैयार होने वाले वन बहुत घने होते हैं। इसमें वृक्षों को बहुत नजदीक लगाया जाता है। जिससे वे तेजी से बढ़ते हैं। बीएमसी मुंबई में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए जापानी पद्धति से वनों को बढ़ावा दे रही है। बीएमसी ने पहले चरण में 24 स्थानों पर यह वन विकसित किया है। जिसमें से 4 कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी के तहत विकसित किए गए हैं। 40 अन्य स्थानों पर वन लगाने का काम जारी है।
47 प्रकार के पौधे लगाए गए
मुंबई में 24 स्थानों पर लगाए गए ‘मियावाकी वन’ में 47 प्रकार के पौधे लगाए गए हैं। जिसमें फल, फूल के और वनस्पतिक औषधि के गुण वाले वृक्ष शामिल है। एम/ईस्ट वॉर्ड के अंतर्गत आईमैक्स थियेटर के पास भक्ति पार्क उद्यान में सर्वाधिक 36 हजार 484 पौधे लगाए गए हैं। उसके बाद एल वॉर्ड के अंतर्गत एक जगह 21 हजार 524 पौधों का वन है। इसी तरह पी/नॉर्थ वॉर्ड के अंतर्गत मालाड पश्चिम के मनोरी गांव में एक भूखंड पर 18,200 पौधों का वन विकसित किया गया है।