ST bus service in rural areas from today
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  • परब और पवार के बीच हुई बैठक बेनतीजा
  • एसटी कर्मचारियों में निराशा

मुंबई. भारी आर्थिक संकट से गुजर रही एसटी को उबारने के लिए किए जा प्रयास रहे फिलहाल असफल साबित हो रहे हैं. महाराष्ट्र की ‘लालपरी’ कही जाने वाली एसटी बसों का आवागमन कोरोना के चलते काफी प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन में एसटी कर्मचारियों को 3 माह का वेतन नहीं मिल पाया है. ऐसे में एसटी की समस्या को लेकर परिवहन मंत्री अनिल परब और राज्य के वित्त मंत्री अजित पवार के बीच मंगलवार को हुई बैठक भी बेनतीजा साबित हुई है.

बताया गया है कि राज्य परिवहन महामंडल कर्मचारियों के बकाया वेतन और अन्य मुद्दों पर परिवहन मंत्री अनिल परब और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बीच चर्चा हुई. एसटी कर्मचारियों को आशा थी कि राज्य सरकार उन्हें बकाया वेतन देने में मदद करेगी, लेकिन फिलहाल कोई निर्णय नहीं हो सका है. 

बकाया वेतन दिए जाने की मांग

उधर विपक्षी दल बीजेपी और कामगार संगठनों ने बकाया वेतन दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है.मनसे एसटी कामगार सेना के नेता हरि माली ने कहा कि कोरोनाकाल में जीवन की बाजी लगाकर एसटी कर्मचारियों ने काम किया है.इस दौरान 45 से ज्यादा कर्मचारियों की जान चली गई है.एसटी कर्मचारियों को 50 लाख का बीमा दिए जाने का भी निर्णय नहीं लिया गया.

एसटी को चाहिए 2 हजार करोड़ की मदद

राज्य परिवहन निगम को आर्थिक संकट से निकालने और कर्मचारियों का बकाया देने लगभग 2 हजार करोड़ की आवश्यकता है.लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार ने एसटी को लगभग 500 करोड़ की मदद की थी,जिससे कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्च किए गए. बताया गया है कि एसटी की आय इस समय मासिक 100 करोड़ भी नहीं है, जबकि वेतन, ईंधन आदि का खर्च कई गुना ज्यादा है. आय बढ़ाने के लिए कई रूट पर एसटी की माल यातायात सेवा भी शुरू की गई है, परंतु उसके अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं.बताया गया कि एसटी का घाटा 5 हजार करोड़ के ऊपर पहुंच गया है. एसटी के लिए 2 हजार करोड़ मदद की मांग सरकार से की गई है.एसटी को आर्थिक संकट से उबारने राज्य सरकार की गारंटी पर कर्ज लेने पर भी विचार किया जा रहा है.