JNPT container terminal will be privatized
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  • बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

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मुंबई. पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) नीति के तहत गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (Jawaharlal Nehru Port Trust) के  कंटेनर टर्मिनल (Container Terminal) के निजीकरण (Privatization) के प्रस्ताव  को श्रमिकों के कड़े विरोध के बावजूद मंजूरी दे दी गई.  जेएनपीटी (JNPT) बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (JNPT Board of Trustees) की बैठक में 10 में से 8 लोगों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 2 श्रमिक ट्रस्टियों ने विरोध किया. इस प्रस्ताव को बहुमत से पास कर दिया गया.

कंटेनर टर्मिनल के निजी करण का प्रस्ताव  बैठक में लाए जाने की सूचना मिलने के बाद बड़ी संख्या में कर्मचारी जेएनपीटी परिसर में जमा हो गए थे.  कर्मचारियों का कहना था कि इस प्रस्ताव को मंजूरी देकर यदि जेएनपीटी  को विकसित करना  उद्देश्य है तो इस टर्मिनल में कार्यरत श्रमिकों का क्या होगा ऐसा सवाल उठाया गया.

कर्मचारी वर्ग जेएनपीटी प्रशासन पर नाराज ही था

जेएनपीटी को पीपीपी के तहत संचालन के लिए देने का प्रस्ताव पहले भी बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की  बैठक में लाया गया था, लेकिन  बोर्ड के श्रमिक ट्रस्टियों के कड़े विरोध के बाद स्थगित कर दिया गया था. जेएनपीटी प्रशासन ने तब यूनियनों के साथ चर्चा कर यह बताने का प्रयास किया था कि यह प्रस्ताव कितना फायदेमंद हो सकता है. लेकिन कर्मचारी वर्ग जेएनपीटी प्रशासन पर नाराज ही था. कर्मचारियों ने 9 दिसंबर को काला दिवस मनाया और विरोध में 16 दिसंबर को मोर्चा निकाला था. कोरोना के कारण मोर्चा निकाला प्रतिबंधित होने से कर्मचारियों ने सार्वजनिक बैठक आयोजित करके इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था.  कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा था कि कुछ भी हो  कंटेनर टर्मिनल के निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा.

10 में से 8 ट्रस्टियों ने समर्थन किया

जेएनपीटी के उपाध्यक्ष अनमेश वाघ ने बताया कि गुरुवार की बैठक में चर्चा के लिए फिर से इस प्रस्ताव रखा गया था. सुरक्षा के लिए जेएनपीटी प्रशासन ने बडी संख्या में  पुलिस (Police) के साथ-साथ केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (Central Industrial Security Force) को भी तैनात किया गया  क्योंकि प्रशासन को लगता था कि कर्मचारी इस बैठक में हंगामा कर सकते हैं. इस बैठक में बोर्ड प्रशासन और यूनियन के बीच एक घंटे की चर्चा हुई. वाघ ने कहा कि 10 में से 8 ट्रस्टियों ने समर्थन किया, जबकि 2 श्रमिक ट्रस्टियों ने  विरोध किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि मतदान  कराने का पूरा अधिकार अध्यक्ष का है.

वोटिंग की मांग खारिज

जेएनपीटी वर्कर्स ट्रस्टी भूषण पाटिल ने कहा कि हमने बैठक मेंइस प्रस्ताव का तीव्र  विरोध किया.  साथ ही प्रस्ताव पर वोट देने की मांग की थी.  कानूनी प्रावधान होने के बाद भी अध्यक्ष ने  वोटिंग की मांग खारिज करके प्रस्ताव को मंजूर कर लिया. पाटिल ने कहा कि इस अन्यायकारी रवैये को हम स्वीकार नहीं करेंगे.  भारी पुलिस सुरक्षा के बीच जेएनपीटी प्रशासन ने सुबह से ही कर्मचारियों की जांच के बाद भीतर प्रवेश दे रहे थे. उन्हें डर था कि कर्मचारी उग्र हो सकते हैं.

निजीकरण का प्रस्ताव पर राउत ने किया था विरोध

सितंबर में जब निजीकरण का प्रस्ताव पर राज्य सभा में शिवसेना सांसद संजय राउत ने मुद्दा उठाते हुए विरोध किया था. राउत ने सरकार से  मांग की  थी कि वह लाभकारी और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण नहीं करें. उन्होंने कहा था कि  नोटबंदी और कोविड-19 महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है.  हमारी जीडीपी (GDP) और हमारा रिजर्व बैंक (Reserve Bank) भी खस्ताहाल हो गया है.  जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है और सरकार को 30 फीसदी से अधिक मुनाफा देता है.  इस पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का मतलब है 7000 एकड़ जमीन को निजी हाथों में दे देना. इससे बेरोजगारी भी बढे़गी क्योंकि निजीकरण होने पर सबसे पहले कामगारों की छंटनी होगी. यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह खास है.