Do Pitru Shradh during Bharani Shradh

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  • पितृपक्ष का अंतिम श्राद्ध कल

अरविंद सिंह

मुंबई.गुरुवार को पितृ विसर्जन कार्यक्रम मुंबई के विभिन्न स्थलों पर श्रद्धापूर्वक किया जाएगा, लेकिन इस वर्ष कोविड-19 के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल रखा जाएगा.सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है. यह पितरों की विदाई का दिन है. इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. 17 सितंबर, गुरुवार के दिन सर्व पितृ अमावस्या है.यह पितृपक्ष का अंतिम दिन है. ज्योतिष, धर्मशास्त्र व हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या पितृ अमावस्या कहलाती है. मान्यता के अनुसार कन्या राशि में जब सूर्य आ जाते हैं तो पित्रलोक से यमराज सभी पित्रों को पृथ्वी पर अपने वंशज के पास जाने के लिए छोड़ देते हैं और कहते हैं कि जो कुछ भी आपके वंशज श्राद्ध के रूप में देते हैं, उसे स्वीकार करो. 

सभी पितर अपने-अपने वंशज के श्राद्ध आयोजन के आस-पास परोक्ष रूप से घूमते रहते हैं. वंशज श्रद्धापूर्वक अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. ऐसा करने से वंशज सालभर सुखी व समृद्ध जीवन व्यतीत करते हैं और पितरों के ऋण से मुक्ति मिलती है.

अंतिम दिन मिलता है अमोघ फल

यह भी मान्‍यता है कि किसी पितर की मृत्‍यु की तिथि ज्ञात नहीं है तो पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध कर सकते हैं. पितृ विसर्जन अमावस्या को श्राद्ध करने से अमोघ फल मिलता है. इस दिन सात्विक ब्राह्मण को घर पर भोजन कराएं और आशीर्वाद पाएं.

श्राद्ध और भोजन कराने की विधि व समय

ध्‍यान रखें श्राद्ध करने और भोजन कराने का समय दोपहर होना चाहिए. ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले पंचबली देकर हवन करें. इसके बाद श्रद्धा पूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराएं. फिर दक्षिणा देकर ब्राह्मण को विदा करें. उसके बाद घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें. 

सबसे महत्वपूर्ण तिथि

पंडित राहुल महाराज ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या का महत्व इससे और अधिक हो जाता है, क्योंकि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पूर्णिमा अमावस्या या चतुर्दशी’ पर मरने वालों का श्राद्ध किया जाता है. इतना ही नहीं सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन सभी का श्राद्ध किया जाता है, जिनके मरने की तिथि मालूम नहीं होती है. पितृ पक्ष की अमावस्या पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तिथि है. 

सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या

राहुल महाराज ने कहा कि पूरे वर्ष पितृ पक्ष की अन्य तिथियों पर श्राद्ध करना संभव नहीं है,  इसलिए सभी को इस तिथि को अपनाने का सुझाव दिया गया है, क्योंकि यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है. श्राद्ध उसी तिथि में किया जाना चाहिए, जिस दिन पूर्वज की मृत्यु हुई हो. यदि पूर्वज के मृत्यु की तारीख नहीं मालूम है या किसी कारण उस तिथि पर श्राद्ध नहीं हो पाया है तो इस दिन श्राद्ध किया जाता है. इसीलिए अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.

पितृ वंशज को देते हैं आशीर्वाद

राहुल महाराज के अनुसार पितृ अमावस्य पर पितृ अपने पोते, और बेटों पर प्यार, देखभाल और समृद्धि बरसाते हैं. वे अपने बेटों या वंशज को वरदान देते हैं और उन्हें अच्छे स्वास्थ्य, फिटनेस और लंबे जीवन के लिए आशीर्वाद देते हैं. 

पितृ ऋणों से उबरने के लिए श्राद्ध का विधान

पंडित महेंद्र जोशी ने कहा कि मानव पर देव ऋषि व पितृ ऋणों से उबरने के लिए पूजा यंज्ञ, वेद व शास्त्र अध्ययन व श्राद्ध का विधान है. माता और पिता दोनों व संन्यासियों का श्राद्ध उनके देहावसान के दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार किया जाता है. इसके अलावा प्रतिवर्ष श्राद्ध पक्ष (कन्यागत सूर्याय के समय) पितृपक्ष में सभी पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है. ‘पितर’ से आशय माता-पिता, नाना-नानी, दादी-दादी, और उनके पहले उत्पन्न सभी संबंधी (मातृपक्ष और पितृपक्ष दोनों) व गुरू परम्परा के गुरू से है.

अंतिम दिन श्राद्ध अवश्य करें

पंडित दिनेश तिवारी ने बताया कि हिंदू मान्यताओं के अनुसार पित्र पक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध व तर्पण करना चाहिए. यदि पितृपक्ष के अन्य दिनों में श्राद्ध न किया गया हो तो अंतिम दिन अवश्य करना चाहिए. अमावस्या को श्राद्ध और पितरों के लिए तर्पण करना बहुत फायदेमंद है. इस दिन पितरों को श्राद्ध करने के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान देना चाहिए. ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद तो मिलता ही है. साथ ही ब्राह्मणों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.

 मुंबई में पितृ विसर्जन स्थल

मुंबई में पितृ विसर्जन वालकेश्वर स्थित बाणगंगा में मुख्य रूप से आयोजित किया जाता है. इसके अलावा कुर्ला (पश्चिम) स्थित शीतल तलाव के पास भी बड़े पैमाने पर आयोजन होता है. पवई तालाब के पास पितृ विसर्जन का आयोजन होता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण यह आयोजन सामान्य तौर पर किया जाएगा. बोरीवली के नेशनल पार्क में भी पितृ विसर्जन का श्राद्ध किया जाता है. भायंदर के जेसल पार्क चौपाटी पर भी पितृ विसर्जन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.  आयोजन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा और विशेष रूप से मास्क लगाकर ही पितृ विसर्जन का आयोजन होगा. इसके अलावा भी मुंबई के कांदिवली, गोरेगांव आदि इलाकों में भी वंशज अपने पितरों के लिए श्रद्धापूर्वक पितृ विसर्जन का आयोजन करेंगे.