Metro-3 work will be delayed, Japan's warning about funding

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    मुंबई. कुलाबा-बांद्रा (Colaba-Bandra) से सीप्ज तक बन रही मुंबई (Mumbai) की पहली अंडर ग्राउंड मेट्रो-3 परियोजना (First Under Ground Metro-3 Project) में और देरी हो सकती है। 33.5 किलोमीटर लंबी इस बहुउद्देश्यीय मेट्रो परियोजना को इस समय पैसे की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जापान सरकार (Japan Government) के सहयोग से साकार हो रही इस परियोजना पर पहले ही 18,000 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। मेट्रो-3 मार्ग पर 95% टनलिंग सहित लगभग 70% काम पूरा हो चुका है। 

    बताया गया है कि जापानी राजदूत ने इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिखकर निधि की कमी को लेकर चेतावनी दी है। पता चला है कि 17 फरवरी 2021 को ही भारत में जापानी राजदूत सुजुकी सतोशी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर निधि की कमी से परियोजना में देरी की आशंका जताई थी। पत्र में सीएम से ऋण की चौथी किश्त के लिए संशोधित परियोजना लागत को मंजूरी देने का अनुरोध किया ताकि फंडिग एजेंसी जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन (जेआईसीए) पैसा जारी कर सके। परियोजना का काम देख रही मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने भी फंड की कमी की जानकारी राज्य सरकार को दी थी। अब तक राज्य सरकार ने परियोजना को वित्तीय मंजूरी नहीं दी है।

    10 हजार करोड़ बढ़ी लागत!

    बताया गया कि मेट्रो-3 की परियोजना लागत 10 हजार करोड़ से ज्यादा बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि परियोजना की लागत 23,136 करोड़ रुपये से बढ़कर 33,406 करोड़ रुपये हो गई है। 

    कारशेड विवाद कायम

    इस बीच मेट्रो-3 के लिए कांजुरमार्ग में बनाए जाने वाले कारशेड का विवाद कायम है। कांजुरमार्ग भूमि पर कानूनी गतिरोध को समाप्त कर परियोजना में तेजी लाने का रास्ता सरकार खोज रही है। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मेट्रो-3 कारशेड के मामले को हाईकोर्ट में हल किए जाने के पहले राज्य सरकार द्वारा कोई निर्णय लेने की संभावना नहीं है। 2013 से जेआईसीए ने मेट्रो-3 परियोजना के लिए तीन चरणों में लगभग 13,425 करोड़ रुपये जारी किए हैं। पता चला है कि जापानी एजेंसी अतिरिक्त 6,500 करोड़ रुपये देने पर राजी है, लेकिन उसे इसके लिए राज्य की मंजूरी की जरूरत है। समझौते के अनुसार, राज्य को पहले लागत वृद्धि प्रस्ताव को मंजूरी देकर उसकी जानकारी केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को देनी होगी। उसके बाद केंद्र की एनओसी पर ही जेआईसीए ऋण जारी कर सकती है।

    70 प्रतिशत काम पूरा

    मेट्रो-3 मार्ग पर कुल 27 स्टेशन हैं, इनमें 26 स्टेशन अंडर ग्राउंड और 1 स्टेशन जमीन के ऊपर होगा। लगभग 70 प्रतिशत काम हो चुका है। यह मेट्रो लाइन वेस्टर्न को सेंट्रल लाइन से सीधे जोड़ेगी। कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज तक लगभग 33.50 किमी लंबी मुंबई की यह पहली अंडर ग्राउंड मेट्रो है।

    2021 में खोलने का था लक्ष्य

    मुंबई की पहली अंडर ग्राउंड मेट्रो को दो चरणों में शुरू किए जाने की योजना है। आरे कॉलोनी से बीकेसी तक पहले चरण को दिसंबर 2021 तक शुरू करने का लक्ष्य था, जबकि बीकेसी से कफ परेड तक वर्ष 2022 में मेट्रो मार्ग को खोले जाने का लक्ष्य है। कोरोना महामारी के साथ अब फंड की कमी, कारशेड विवाद आदि कारणों के चलते मेट्रो-3 परियोजना में और देरी हो सकती है।