Bhujbal
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  • कैबिनेट मंत्री भुजबल भी फैसले से सहमत नहीं
  • बोले- समय से परीक्षा होनी चाहिए

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मुंबई. मराठा नेताओं के दवाब में 11 अक्टूबर को प्रस्तावित महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) की परीक्षा को स्थगित किए जाने से ओबीसी नेताओं में नाराजगी है. एमपीएससी परीक्षा को स्थगित किए जाने के फैसले के बाद ओबीसी और धनगर समाज के नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ बैठक की. 

इस बैठक में इन नेताओं ने एमपीएससी परीक्षा को टाल दिए जाने पर नाराजगी जताई.ओबीसी समाज के नेता चंद्रकांत बावकर और जे. डी. तांडेल ने कहा कि जिस तरह मराठा समाज के लिए सरकार हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराने की बात कह रही है. उसी तरह ओबीसी और धनगर समाज के लोगों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. हालांकि ठाकरे सरकार ने मराठा समाज की तर्ज पर ओबीसी और धनगर समाज के लोगों के लिए मंत्रियों की उप समिति के गठन का फैसला लिया है.   

भुजबल फैसले से खुश नहीं!

एमपीएससी परीक्षा को टाल दिए जाने का खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने खुल कर विरोध नहीं किया है, लेकिन उन्होंने कहा कि कई लोगों का मत था कि यह परीक्षा समय से होनी चाहिए थी. भुजबल ने कहा कि वे इस विषय पर ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहते हैं, लेकिन व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि यह परीक्षा रद्द नहीं की जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि इस परीक्षा के लिए काफी संख्या में युवाओं ने तैयारी की थी. भुजबल ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोरोना संकट को देखते हुए एमपीएससी की परीक्षा को स्थगित करने का फैसला लिया है. ऐसे में इस पर ज्यादा चर्चा करना ठीक नहीं है. 

ओबीसी वर्सेस मराठा 

मराठा आरक्षण की बढ़ती मांग को देखते हुए ठाकरे सरकार के कैबिनेट में भी ओबीसी वर्सेस मराठा की लड़ाई तेज हो गई है.ओबीसी समाज से संबंध रखने वाले कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल और विजय वडेटीवार ने साफ किया है कि मराठों को आरक्षण देने की दिशा में ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए. 

किसके खिलाफ निकलेगी तलवार 

कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल और विजय वडेटीवार ने मराठा समाज के नेता और बीजेपी सांसद छत्रपति संभाजी राजे के उस बयान को लेकर भी निशाना साधा है, जिसमें सभांजी ने मराठों के हितों के लिए तलवार निकालने की धमकी दी है. वडेटीवार ने संभाजी से पूछा है कि आखिर यह तलवार वे किसके खिलाफ निकालने वाले हैं. इन दोनों समुदाय के नेताओं के साथ चल रही इस बयानबाजी से साफ है कि आने वाले दिनों में ओबीसी वर्सेस मराठा की लड़ाई और जोर पकड़ने वाली है.