मुंबई: मुंबई पुलिस ने शनिवार को सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में सीबीआई जांच का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह मामले में पेशेवर और निष्पक्ष जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में बांद्रा पुलिस द्वारा दायर एक हलफनामे में, रिया चक्रवर्ती की याचिका के जवाब में, बिहार पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर करने की मांग करते हुए, मुंबई पुलिस ने कहा है कि सीबीआई को मामले में अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
बांद्रा पुलिस स्टेशन में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि बिहार पुलिस के पास एफआईआर या गवाहों की जांच करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। हलफनामे में कहा गया है कि, बिहार पुलिस द्वारा पटना में एफआईआर का पंजीकरण “संविधान में निहित संघवाद के सिद्धांतों से राजनीति से प्रेरित और उल्लंघन” हुआ। मुंबई पुलिस ने कहा कि बिहार पुलिस केवल एक ”जीरो एफआईआर” (अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं आने वाला अपराध) दर्ज कर सकती थी और इसे मुंबई भेज सकती थी और इसे सीबीआई को हस्तांतरित करने का कानूनी अधिकार नहीं था।
इस केस में शनिवार को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि मामले को लेकर मुंबई पुलिस बड़े ही प्रोफेशनल और सही तरीके से जांच कर रही है और मामले में सुप्रीम कोर्ट 11 अगस्त को सुनवाई करेगा। देशमुख ने कहा, जो भी सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आएगा उसके हिसाब से हम आगे देखेंगे केस में क्या करना है।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत 14 जून को उनके बांद्रा स्तिथ फ़्लैट में हुई थी जिसके बाद बांद्रा पुलिस ने एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) दाखिल किया था। केस को लेकर मुंबई पुलिस अब तक करीब 56 लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है। लेकिन सुशांत के पिता केके सिंह द्वारा बिहार के राजीव नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के बाद बिहार सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश केन्द्र सरकार से की थी। बिहार सरकार की इस सिफारिश को केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया था।
बतादें कि सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच के लिए बिहार सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली है। खबर है कि पटना पुलिस ने अपनी जांच में जो दस्तावेज़ अब तक इकट्ठा किए थे वो सीबीआई को सौंपे जा चुके हैं। वहीं शुक्रवार को रिया की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर केंद्र ने पक्षकार बनने का आवेदन दिया है। आवेदन में कहा गया है कि चूंकि पटना में दर्ज मामले को अब सीबीआई को सौंप दिया गया है। इसलिए इस मामले में उसे पक्षकार बनाना जरूरी है।