The city's first animal electric incinerator will start in Mumbai, plans to set up an area of 2500 sq.

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  • पर हर बार मेयर की बच गई कुर्सी 

मुंबई. मुंबई की महापौर किशोरी पेडणेकर के खिलाफ बीजेपी की तरफ से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बीएमसी में चर्चा गर्म है. पर यह पहली बार नहीं है कि महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के हथियार का उपयोग किया गया है. बीएमसी के 128 वर्ष के इतिहास में अब तक 77 महापौर मुंबई महानगरपालिका की महत्वपूर्ण कुर्सी पर विराजमान हो चुके हैं जिनमें से 10 महापौर के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है, जिसमें से एक भी प्रस्ताव पास नहीं हो सका. लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है और यदि प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो बीएमसी में एक नया इतिहास बन जाएगा.

अविश्वास प्रस्ताव के पीछे की कहानी देखें तो मुंबई में कोरोना मरीजों के लिए अस्पतालों में जगह कम पड़ने के बाद मुंबई में 25 स्थानों पर जंबो कोविड सेंटर बनाया गया. जंबो कोविड सेंटर बनाने, दवाइयों और मेडिकल मशीनरी खरीदने के लिए बीएमसी ने 600 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. हालांकि यह राशि इससे भी अधिक हो सकती है. इतने बड़े पैमाने पर जंबो सेंटरों में पीपीई किट, दस्ताने, मास्क और शवों की पैकेजिंग के लिए खरीदे गए बैग में भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप बीजेपी ने लगाया है. बीजेपी का आरोप है कि स्थायी समिति और बीएमसी सभागृह की मंजूरी के बिना ही इतना बड़ा खर्च किया गया है. इस संदर्भ में महापौर किशोरी पेडणेकर और बीएमसी कमिश्नर को बार- बार शिकायत पत्र देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई.

एक भी बैठक नहीं की

इसके अलावा बीजेपी की शिकायत यह भी है कि पहले नगरसेवकों की संख्या के अनुरूप राजनीतिक दलों को विकास निधि वितरित की जाती थी जिसका इस बार घोर उल्लंघन किया गया. महापौर ने शिवसेना नगरसेवकों को 73% निधि देकर बची विकास निधि बीजेपी, एनसीपी, कांग्रेस, सपा आदि नगरसेवकों को दिया जो कि ऊंट के मुंह में जीरा के समान है. पिछले 6 महीने में महापौर ने सभागृह की एक भी बैठक आहूत नहीं की. इन्हीं विषयों को लेकर बीजेपी गट नेता प्रभाकर शिंदे ने महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया है.

एक भी प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ

इतिहास बताते हैं कि अब तक जिन 10 महापौर के खिलाफ अविश्वास पेश किया गया है, उनमें से एक भी प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ. ये नगरसेवकों के सभागृह के बहिष्कार और कभी हंगामों के कारण मंज़ूर नहीं हुए. अब वर्तमान महापौर किशोरी पेडणेकर को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना है. महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के लिए बीजेपी को बीएमसी के विपक्षी पार्टियों के समर्थन की आवश्यकता होगी जो मुश्किल दिख रहा है. बीएमसी में बीजेपी और शिवसेना के नगरसेवकों के संख्या बल में ज्यादा अंतर नहीं है. इसलिए अविश्वास प्रस्ताव को यदि कांग्रेस, एनसीपी और समाजवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन मिलता है तो ही प्रस्ताव मंज़ूर हो सकता है. वैसे भी राज्य में इन पार्टियों की महाविकास आघाड़ी सरकार है जिस कारण से यह संभव नहीं लगता है, लेकिन जिस तरह शिवसेना ने विकास फंड को लेकर विपक्षी पार्टियों के नगरसेवकों को नज़रअंदाज़ किया है, उससे कहा जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव के समय कुछ भी हो सकता है. सभागृह की बैठक में जल्द ही अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मतदान होगा. इस पर सबकी नजरें लगी हैं.

महापौर के खिलाफ कब-कब पेश हुआ अविश्वास प्रस्ताव

  • वर्ष 1936-37 महापौर जमनादास मेहता के खिलाफ – 31 अगस्त 1936
  • वर्ष 1942 – 43 महापौर  यूसुफ मेहरअली के खिलाफ- 17 सितंबर 1942
  • वर्ष  1949-50  महापौर स.का. पाटिल के खिलाफ- 25 सितंबर 1949
  • वर्ष  1955-56  महापौर  एन. सी. पुपाला के खिलाफ- 15 दिसंबर 1955
  • वर्ष 1962-63 महापौर एन. एस. शाह के खिलाफ-  6 अगस्त 1962
  • वर्ष 1968-69 महापौर डॉ. आर कुलकर्णी के खिलाफ- 12 अगस्त 1968
  • वर्ष 1979-80 महापौर  राजाभाऊ चिंबुलकर के खिलाफ 16 अगस्त 1979
  • वर्ष 1992-93 महापौर चंद्रकांत हंडोरे के खिलाफ- 29 जून 1992
  • वर्ष 1993-94 महापौर आर आर सिंह के खिलाफ- 30 अगस्त 1993
  • वर्ष  1998 – 99 बीएमसी  महापौर परिषद होते हुए भी अध्यक्ष गजानन ठाकरे के खिलाफ 20 अगस्त 1998
  • वर्ष  2005 – 2007 महापौर  दत्ता दलवी के खिलाफ – 17 अक्टूबर  2005