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  • धारावी के सेक्टर-5 में 672 घर बन कर तैयार

मुंबई. सालों से घिसटने के बाद अब एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी के अब दिन फिरने शुरु हो गए हैं. तमाम मुश्किलों के बावजूद म्हाडा की तरफ से डेवलप किए जा रहे सेक्टर 5 परियोजना के अंतर्गत दूसरे चरण में 672 घरों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया  है. बन कर तैयार हुए इन 672 घरों को जनवरी में धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) को सौंप दिया जाएगा, जिसके बाद डीआरपी पात्र निवासियों को घरों का हस्तांतरण करेगा.

सनद रहे कि धारावी का चेहरा बदलने के लिए  धारावी पुनर्विकास परियोजना (डीआरपी) के जरिए यह प्रयास शुरु किया गया था, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली है. उधर, राज्य सरकार ने रेलवे को 800 करोड़ रुपये का भुगतान कर उसकी जमीन भी प्राप्त कर ली बावजूद इसके प्रगति  के कोई आसार नजर नहीं आ रहे है.

 दिसंबर तक घरों को डीपीआर को सौंप दिया जाएगा 

सरकार के इस निर्णय के कारण सेक्टर-5 का कार्य म्हाडा के हाथ से वापस ले लिया गया. हालांकि जिन दो इमारतों का काम चल रहा था उसे पूरा करने का अनुरोध किया गया था. म्हाडा की तरफ से दोनों इमारतों का काम पूरा कर लिया गया है. दिसंबर तक घरों को डीपीआर को सौंप दिया जाएगा जिससे वह पात्र नागरिकों को घरों का वितरण कर सके. म्हाडा के हाथ से परियोजना वापस लेने से इन घरों का वितरण डीआरपी की तरफ से किया जाएगा. कोरोना संकट में जगह की कमी से जूझ रहे 672 निवासियों को राहत मिलेगी.

700 घरों का निर्माण

अधिकारी के अनुसार 5 इमारत में से 3 इमारत का काम  मुंबई मंडल ने पूरा किया है. बची हुई 2 इमारतों का काम डीआरपी की तरफ से किया जाएगा. इन 2 इमारतों में 700 घर बनेंगे. डीपीआर ने दोनों इमारतों का निर्माण शुरु कर दिया है. आने वाले समय में धारावी वासियों के लिए 700  घर और उपलब्ध होंगे. धारावी का विकास करने के लिए राज्य सरकार ने म्हाडा, झोपड्पट्टी पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए), महाराष्ट्र निवारा निधि की तरफ से रेलवे की जमीन के लिए  800 करोड़ रुपए का भुगतान किया था. जमीन का हस्तांतरण भी हो गया है, लेकिन डेवलपर को लेकर पेंच कायम है. यूएई की कंपनी सिकलिंक को टेंडर भी मिल गया था, जिसे बाद में रद्द कर दिया था. मामला कोर्ट में पहुंच गया. अब एडवोकेट जनरल ने नया टेंडर निकालने का सुझाव दिया है.