oxygen cylinder

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मुंबई. सितंबर-अक्टूबर के दौरान राज्य में मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई थी. मांग बढ़ने और ऑक्सीजन की कमी के बाद राज्य सरकार के पास ऑक्सीजन आपूर्ति करने की चुनौती का सामना करना पड़ा था. यहां तक ऑक्सीजन पर कैपिंग लगाना पड़ा था. सितंबर-अक्टूबर में ऑक्सीजन की मांग 450 टन से सीधे 850 टन पर पहुंच गई थी.  लेकिन अब ऑक्सीजन की डिमांड एक बार फिर कम हो गई है.

एफडीए के अनुसार, वर्तमान समय में ऑक्सीजन की मांग प्रतिदिन 436 टन रह गई है. पिछले कुछ दिनों से राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या में कमी आने का असर ऑक्सीजन की मांग पर भी पड़ा है. 

सितंबर में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई

मार्च में कोरोना शुरु हुआ था. अगस्त-सितंबर में कोरोना ने रौद्र रुप दिखाना शुरु किया. राज्य में रोज 18000 से 20,000 मरीज मिलने लगे थे. कोरोना मरीजों में गंभीर मरीजों की तादात अधिक होने से ऑक्सीजन की डिमांड 850 टन तक पहुंच गई. सितंबर में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पतालों में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई. अस्पतालों की तरफ से शिकायत मिलने लगी कि समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है. ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकार ने एफडीए को दे दी. सरकार ने पहले ऑक्सीजन उपयोग के आंकड़े को दुरुस्त किया. क्योंकि 50 से 60 फीसदी ऑक्सीजन चिकित्सीय उपयोग में लिया जा रहा था और बचा हुए ऑक्सीजन औद्योगित कार्यों के उपयोग में आ रहा था. लेकिन ऑक्सीजन की मांग बढ़ने के बाद सरकार ने 80 प्रतिशत ऑक्सीजन चिकित्सीय उपयोग के लिए और 20 प्रतिशत औधोगिक के लिए रिजर्व कर दिया. 

टैंकरों को किराए पर लिया गया

ऑक्सीजन की कमी दूर करने और आपूर्ति बढ़ाने के  लिए बड़ संख्या में टैंकरों को किराए पर लिया गया. एफडीए के ज्वाईंट कमिश्नर जुगलकिशोर मंत्री ने बताया कि राज्य में अब नए मरीजों की संख्या 5 हजार से नीचे है. 

… तो भी अब हमारे पार ऑक्सीजन का पर्याप्त भांडारण उपलब्ध 

कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या घट कर एक लाख से नीचे आ गई है. अभी हमारे पास  4 हजार 464 टन ऑक्सीजन रिजर्व रखा गया है. ऑक्सीजन की मांग में कमी आई है. उन्होंने बताया कि जैसे कि कहा जा रहा है कि त्योहार के बाद कोरोना की दूसरी लहर आ सकती है. यदि दूसरी लहर आती थी है तो भी अब हमारे पार ऑक्सीजन का पर्याप्त भांडारण उपलब्ध है.  किसी को ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी जाएगी.