शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा से लोगों के जीवन बदलने वाले ‘डॉ प्रभाकर कोरे’

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मुंबई. देश में कोरोना वैश्विक महामारी के चलते पिछले 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू है। इस दौरान सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग क्लास अभ्यासिका बंद है। वर्तमान में लॉकडाउन का पांचवां चरण शुरू हो गया है। इसके साथ इस लॉकडाउन में कई सेवाएं शुरू की गई है। हालांकि स्कूल और कॉलेज बंद रखे गए है। इसलिए कोरोना के कारण शिक्षा क्षेत्र और पढ़ने वाले छात्रों का बहुत नुकसान हो रहा है। इस बिच कोविड-19 के पश्चात के.एल.इ. सोसाइटी के चेयरमैन डॉ. प्रभाकर कोरे 2 जून को शाम 5 बजे नवभारत वाइब्स पर ‘शिक्षा क्षेत्र का भविष्य’ इस विषय पर चर्चा करने आ रहे है। डॉ कोरे इस वाइब्स में शिक्षा क्षेत्र का भविष्य, इसमें कौन से बदलाव होंगे, ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली, छात्रों की इस शिक्षा में रूचि इन सभी मुद्दों पर बात करेंगे।  

डॉ. प्रभाकर कोरे एक भारतीय राजनीतिज्ञ और कर्नाटक से राज्यसभा के सदस्य है। इसके अलावा डॉ कोरे बेलवागी कर्नाटक लिंगायत एजुकेशन सोसाइटी के चेयरमैन और हुबली के केएलई टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के चांसलर भी हैं। यह सोसायटी कर्नाटक और महाराष्ट्र में 260 से अधिक शिक्षा संस्थान चलाती है। 

एक बहुमुखी व्यक्तित्व के रूप में डॉ. प्रभाकर कोरे की पहचान है। अलग-अलग क्षेत्रों में उन्होंने अपनी पहचान बनाई जिसमे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सहकारी क्षेत्र और राजनीति शामिल है। स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के माध्यम से लोगों के जीवन को बदलने का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। डॉ कोरे एक प्रगतिशील नेता हैं। उनके दृढ़ विश्वास ने स्वास्थ्य विज्ञान, शिक्षा और अनुसंधान में केएलई का नेतृत्व किया है। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं को आम लोगों के घर-घर तक पहुँचाया। इसलिए केएलई सोसाइटी ने डॉ. प्रभाकर कोरे को 30 वर्ष से अधिक उनकी निरंतर और शानदार अध्यक्षता के लिए सम्मानित किया है।

डॉ प्रभाकर कोरे का राजनितिक करियर 1990 हुआ। अप्रैल 1990 में वे राज्यसभा के लिए चुने गए। जिसके बाद वह रेलवे के समिति पर सदस्य, रक्षा मंत्रालय के परामर्शदात्री समिति में सदस्य रह चुके है। 2001 से 2007 के बिच वह कर्नाटक विधानसभा परिषद में सदस्य चुने गए। जून 2008 में राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। अगस्त 2010 के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण समिति के सदस्य थे। साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सलाहकार समिति पर भी थे। 2 से 8 अक्टूबर के बिच वह भारत के माननीय राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी की राजकीय यात्रा के प्रतिनिधिमंडल के आधिकारिक सदस्य के रूप में भी काम किया है। इसके अलावा डॉ कोरे ने शिक्षा, रेलवे, हिंदी प्रसार, योजना, कृषि और अन्य कल्याण से संबंधित पहलुओं के संसदीय समितियों पर भी काम किया है। 

डॉ प्रभाकर कोरे को बड़े-बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इनमे उन्हें शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए 13 फरवरी 2008 को कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ द्वारा मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया। कर्नाटक सरकार ने ‘सुवर्ण कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार-2006’ से सम्मनित किया। न्यूयॉर्क में उत्तरी अमेरिका के वीरशैव समाज द्वारा पहली बार शिक्षा, सेवा और समाज के लिए डॉ प्रभाकर कोरे लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के प्राप्तकर्ता बने। ‘Giants International Group’ द्वारा वर्ष 2004 में ‘आउटस्टैंडिंग एजुकेशनिस्ट’ के रूप में फिल्म अभिनेता श्री अमिताभ बच्चन द्वारा सम्मानित किया गया। 21 दिसंबर, 2007 को कन्नड़ संघ बहरीन द्वारा “कन्नड़ वैभव 2007” के रूप में सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2013 को रानी चन्नम्मा विश्वविद्यालय, बेलगावी द्वारा डॉक्टरेट उपाधि से और कैटालिन सिबेलियस के स्वास्थ्य सचिव द्वारा चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।