कोरोना को हराने में सफल हुईं प्राची

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मुंबई. कुणाल संखे के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनकी पत्नी प्राची संखे और उनके 2 साल के बेटे को भी वसई-विरार मनपा द्वारा विरार पश्चिम स्थित म्हाडा कालोनी में बनाए गए सेंटर में क्वारंटाइन किया गया. वहां पर 3 दिनों तक उनका और उनके बच्चे का कोरोना टेस्ट नहीं लिया गया. तीसरे दिन रात को बच्चे को बुखार आया, जिससे वे घबराकर नीचे स्वास्थ्य कर्मियों के पास गईं, बच्चे को दवा देने से आराम हो गया, लेकिन इन दोनों का तब तक कोरोना टेस्ट नहीं किया गया था. 

27 वर्षीय प्राची मीरा रोड के भक्तिवेदांत अस्पताल में स्टाफ नर्स हैं, स्थिति की गंभीरता को समझती हैं, इसलिए उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों पर स्वयं और बच्चे का कोरोना टेस्ट कराने का दबाव डाला. 22 तारीख को उनका और बच्चे का अग्रवाल हॉस्पिटल भेजकर कोरोना टेस्ट कराया गया. 23 मई को प्राची का कोरोना पॉजिटिव आया,जबकि बच्चे का निगेटिव आया. 

7 दिन में ही अस्पताल से डिस्चार्ज 

अस्पताल में बेड की कमी होने के कारण कुणाल के आग्रह पर उनके ही रूम में प्राची के लिए भी एक अतिरिक्त बेड डाला गया. प्राची ने कहा कि बच्चे को प्राची के मम्मी पापा के पास ले जाया गया. अस्पताल में 7 दिन रखने के बाद उन्हें भी छोड़ दिया गया. प्राची में कोरोना वायरस के कम सिम्टम्स थे, इसलिए उन्हें 7 दिन में ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया, वे भी कुणाल के साथ घर आ गई हैं. 

क्वारंटाइन सेंटर की लापरवाही से नाराजगी

प्राची ने कहा कि क्वारंटाइन सेंटर स्टाफ ने काफी लापरवाहियां बरतीं. मेरे बार-बार कहने के बावजूद वे लोग मेरा कोरोना टेस्ट नहीं करा रहे थे. बाद में उन्होंने मेरे काफी दबाव बनाने के बाद अग्रवाल हॉस्पिटल में कोरोना टेस्ट के लिए भेजा. उन्होंने कहा कि क्वारंटाइन सेंटर में इस तरह की लापरवाही नहीं होना चाहिए अन्यथा कितने लोग कोरोना वायरस के शिकार हो जाएंगे. मैं ईश्वर को शुक्रिया करती हूं कि मैं बच गई.