मुंबई. पूर्व सांसद और पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) ने एक बार फिर शिवसेना ( Shiv Sena) पर निशाना साधा है। इस बार निरुपम ने औरंगाबाद (Aurangabad) के नामांतरण (Renaming) को लेकर घेरा है।
औरंगजेब का व्यक्तित्व विवादास्पद रहा है।उसके हर पक्ष से कॉंग्रेस सहमत हो जरूरी नहीं।
संभाजी महान योद्धा थे।उनका आत्मोत्सर्ग वंदनीय है।इस पर कोई मतभेद नहीं।
लेकिन सरकार चलाते समय शिवसेना महापुरुषों को बीच में लाएगी तो यकीनन गच्चा खा जाएगी।खुद तय कर ले।#SambhajiMaharaj— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) January 2, 2021
पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने ट्वीट कर कहा है कि, औरंगाबाद का नामांतरण शिवसेना का अपना पुराना एजेंडा है, लेकिन सरकार तीन पार्टियों की है, यह नहीं भूलना चाहिए। गठबंधन की सरकारें कॉमन मिनिमम प्रोग्राम से चलती हैं। किसी के पर्सनल एजेंडे से नहीं । प्रोग्राम काम करने के लिए बना है, नाम बदलने के लिए नहीं।
औरंगजेब का व्यक्तित्व विवादास्पद रहा है। उसके हर पक्ष से कांग्रेस सहमत हो जरूरी नहीं। संभाजी महराज महान योद्धा थे। उनका आत्मोत्सर्ग वंदनीय है। इस पर कोई मतभेद नहीं। लेकिन सरकार चलाते समय शिवसेना महापुरुषों को बीच में लाएगी तो यकीनन गच्चा खा जाएगी। खुद तय कर लें।
इस बीच, औरंगाबाद महानगरपालिका चुनाव की गहमा-गहमी के बीच नामांतरण की राजनीति एक बार फिर गरम हो गई है। शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने कांग्रेस को नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि, कांग्रेस को औरंगजेब की अपेक्षा संभाजी महाराज पर अधिक श्रध्दा होनी चाहिए। राउत ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा है कि 5 सालों तक केंद्र और महाराष्ट्र में आप की सत्ता थी। इन 5 सालों में आपने क्या किया? उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम अयोध्या किया। उस समय औरंगाबाद को संभाजीनगर किया जा सकता था। राउत ने सवाल किया है कि महाराष्ट्र में भाजपा की सत्ता होते हुए नामकरण क्यों नहीं किया गया। शिवसेना नेता ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने अनुमति दी थी। भारतीयों में औरंगजेब और बाबर का महत्व नहीं है। इसको लेकर राउत ने कांग्रेस को सुनाया है।
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शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि औरंगाबाद का संभाजीनगर नामकरण 30 साल पहले ही शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने किया था, लेकिन नाम का कागजी करण नहीं हो पाया था। आने वाले दिनों में वह भी हो जायेगा। महाविकास आघाड़ी में नामांतरण के मुद्दे पर किसी तरह का मतभेद नहीं है। चर्चा के माध्यम से यह मुद्दा सुलझ जाएगा।
उधर, भाजपा विधायक राम कदम ने औरंगाबाद के नामांतरण को लेकर शिवसेना पर पलटवार किया है। विधायक कदम ने कहा कि औरंगाबाद शहर का नाम संभाजीनगर रखना शिवसेना की राजनीति है। यदि शिवसेना को संभाजी महाराज से प्रेम होता तो जब महाराष्ट्र में जब भाजपा के साथ राज्य में सत्ता में थे और औरंगाबाद महानगरपालिका में शिवसेना की ही सत्ता थी। उस दौरान वे कौन सी निंद्रा में थे। उस समय शिवसेना ने शहर का नाम बदलेने का प्रस्ताव सरकार के पास क्यों नहीं भेजा? विधायक कदम ने कहा कि जब औरंगाबाद में मनपा चुनाव होने जा रहे हैं तब उन्हें संभाजीनगर की याद आती है।
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गौरतलब है कि, इसके पहले कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और राज्य के राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात (Revenue Minister Balasahab Thorat) ने कहा था कि शहरों का नाम बदलने से विकास नहीं होता। कांग्रेस पार्टी का विश्वास नाम बदलने पर नहीं है। महाविकास आघाडी के प्रमुख घटक शिवसेना नाम बदलने को लेकर कितने भी प्रयास कर लें, कांग्रेस पार्टी उसका समर्थन नहीं करेंगी।
इसके पहले, एक टीवी न्यूज चैनल ने डिविजनल कमिश्नर द्वारा औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर का प्रस्ताव सरकार को भेजे जाने की खबर दिखायी थी। इस खबर से फिर एक बार राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई थीं। इस खबर के बाद विभागीय प्रशासन ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि नामांतरण का कोई भी प्रस्ताव विभागीय प्रशासन द्वारा सरकार को नहीं भेजा गया है। विभागीय प्रशासन ने बताया कि राज्य सरकार ने कुछ जानकारी प्रशासन की ओर से मार्च 2020 में मंगायी थी । इसमें सरकार ने स्पष्ट किया था कि औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने के बारे में वर्तमान स्थिति क्या है? नई सरकार ने कोई जानकारी नहीं मांगी है।