कल्याण-ठाणे-मुंबई जल मार्ग परियोजना में बदलाव पर बवाल

  • सांसद श्रीकांत शिंदे ने जताया विरोध
  • 650 करोड़ हुए थे मंज़ूर

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मुंबई. मुंबई और उपनगरों में रेल-सड़क यातायात पर भार कम करने के उद्देश्य से मंजूर किए गए कल्याण-ठाणे-मुंबई जल यातायात परियोजना के मूल प्रारूप में बदलाव पर बवाल मचा हुआ है. इस मामले में कल्याण के सांसद डॉ श्रीकांत शिंदे ने विरोध करते हुए केंद्र सरकार को पत्र दिया है. कल्याण-ठाणे-वसई और कल्याण-ठाणे-मुंबई जल यातायात परियोजना को केंद्र सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही मंजूरी दी थी. उस दौरान शिवसेना एनडीए सरकार का हिस्सा थी. सांसद श्रीकांत शिंदे की मांग पर इस बहुउद्देश्यीय परियोजना के तत्कालीन जल यातायात मंत्री नितिन गडकरी ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का निर्देश दिया था. 

जिले के पालकमंत्री एकनाथ शिंदे के निर्देशानुसार, टीएमसी ने 4 करोड़ रुपए खर्च कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार किया. डॉ श्रीकांत शिंदे ने कहा कि अब अंतिम मंजूरी के समय मूल प्रस्ताव को ही बदलने का काम किया जा रहा है, सांसद श्रीकांत शिंदे ने कहा कि टीएमसी के माध्यम से तैयार प्रोजेक्ट के अनुसार कार्य हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल यातायात योजना का लाभ मिल सके.

10 जेट्टी बनाने का था प्रस्ताव

कल्याण-ठाणे-वसई इस योजना के लिए 650 करोड़ रुपए मंज़ूर कर आगे के चरण की रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया था. पहले चरण का काम जेएनपीटी के माध्यम से पूरा करने का निर्णय लिया गया.जबकि इसकी देखरेख की ज़िम्मेदारी टीएमसी की थी. सांसद डॉ श्रीकांत शिंदे के अनुसार पहले चरण में 10 जेट्टी का निर्माण, जल मार्ग का विकास व यातायात का समावेश था. लेकिन केंद्र ने पहले चरण के प्रस्ताव में बदलाव कर केवल डोंबिवली, काल्हेर, कोलशेत और वसई में चार जेट्टी बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए राज्य सरकार को भी खर्च का भार उठाना होगा.

पीपीपी पर आधारित परियोजना

सांसद श्रीकांत शिंदे ने बताया कि यह जल यातायात परियोजना पीपीपी पर महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड के माध्यम से किए जाने का निर्णय केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने लिया है. वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से केंद्रीय मंत्री के साथ हुई बैठक में डॉ. शिंदे ने कहा कि मूल प्रस्ताव के अनुसार ही इस प्रकल्प को मंजूरी दी जानी चाहिए. टीएमसी के माध्यम से तैयार की गई प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर जेट्टी का निर्माण किए जाने पर परियोजना का फायदा मुंबई सहित उपनगरों के आम लोगों को होगा. यह योजना पीपीपी पर आधारित होगी.