– सैन्य बल से ही नहीं, मनोबल से करें परास्त
– ‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’ का संदेश
– संकल्प से मिलेगी सिद्धि, देशी के प्रयोग से समृद्धि
मुंबई. भारत चीन सीमा पर स्थित गलवान घाटी में धोखे से की गई भारतीय सैनिकों की हत्या पर देश भर में भारी नाराजगी देखी जा रही है. संत महात्माओं में भी चीन की बर्बरतापूर्ण चाल को लेकर आक्रोश देखा जा रहा है. जिस तरह से संधि का उल्लंघन कर सैनिकों पर जानलेवा हमला किया गया उससे संत समाज आहत है. उनका कहना है कि सिर्फ सैन्य बल से ही चीन पर विजय पाने की कोशिश नहीं करनी है बल्कि हमें दृढ़ मनोबल के साथ चीनी वस्तुओं का परित्याग कर उसे परास्त करना होगा.
जिस तरह से स्वामी विवेकानंद ने ‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’ का संदेश दिया था, आज वह समय आ गया है. उठो, जागो और लक्ष्य पाने तक शांत मत बैठो. जिस तरह से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन में विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए उनकी होली जलाने की शुरुआत कर जागरूकता लाई थी, उसी तरह से अब हमें भी चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का संकल्प लेना होगा, तभी सिद्धि मिलेगी. देशी सामानों के प्रयोग से देश को समृद्धि मिलेगी.
देश और धर्म की रक्षा लिए हैं अखाड़े
आद्य जगतगुरु भगवान शंकराचार्य ने सनातन संस्कृति और देश की रक्षा के लिए ही 14 अखाड़ों की स्थापना की है. जिस तरह से चीन ने भारतीय सैनिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया है उसका जवाब दिया जाना चाहिए. जरूरत पड़ी तो संत समाज सीमा पर जाएंगे. -स्वामी नरेंद्र गिरी, अध्यक्ष-अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद
शहीदों के बलिदान को व्यर्थ ना जाने दें
लद्दाख की गलवान घाटी में हमारे सैनिकों के साहस व बलिदान को हम कभी भुला नहीं सकते. पीछे धोखे से वार करने वाले चीन को सबक सिखाने की जरूरत है. हम देशवासियों को चीन में निर्मित उत्पादों का बहिष्कार कर उसकी अर्थव्यवस्था पर प्रहार करने की आवश्यकता है. शहीदों की शहादत पर कोई भी सियासत नहीं होनी चाहिए.
-स्वामी हरि चैतन्य महाप्रभु, श्री हरिकृपा पीठाधीश्वर
बस बहुत हो गया, अब और नहीं
दक्षिण एशिया में चीन की दादागीरी बढ़ती ही जा रही है. भारत को परेशान करने के लिए उसके पड़ोसी देशों को मोहरा बनाया जा रहा है. बहुत हो गया, अब उसे सबक सिखाने का समय आ गया है.
-स्वामी आनंद गिरि, अध्यक्ष-गंगा सेना, बड़े हनुमानजी मंदिर, प्रयागराज
बहुत ही दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण
सीमा पर घटी घटना बहुत ही दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. पुरानी सरकारों की गलत नीतियों का ही यह परिणाम है. वर्तमान सरकार और सेना पूर्णतः सक्षम है. सीमा पर सेना लड़ेगी लेकिन देश में हम सभी को चीन के वस्तुओं का बहिष्कार कर जवाब देना है. इसमें दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना चाहिए.
-महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानंद, जूना अखाड़ा
वैदिक अनुष्ठान से विजय होगी आसान
संत समाज देश के सैनिकों के विजय के लिए वैदिक अनुष्ठान से शक्ति देगा. राष्ट्र की रक्षा के लिए संकटमोचन यज्ञों की आश्रमों, मठों और वेदपाठी केंद्रों में श्रृंखला शुरू की जायेगी. ऑन लाइन प्रवचनों, कथाओं में लोगों को चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए प्रेरित किया जाएगा. -महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि, प्रमुख संन्यास आश्रम, विलेपार्ले
जरूरत पड़ी तो अखाड़ों से बाहर निकलेंगे साधु
देश के सीमाओं की रक्षा करने के लिए हमारी सेनाएं पूरी तरह सक्षम है. यह 1962 वाला भारत नहीं है. यदि पहले की सरकारों ने राष्ट्रीय सुरक्षा की अनदेखी न की होती तो आज हम कई गुना आगे होते. फिर भी वर्तमान सरकार ने काफी कुछ मेंटेन किया है. जरूरत पड़ी तो अखाड़ों के साधु सीमा पर कूच करेंगे. -महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती
राष्ट्र के लिए शास्त्र के साथ शस्त्र का भी प्रयोग
देश की अस्मिता से बढ़कर संत समाज के लिए कुछ भी नहीं है. जरूरत पड़ी तो राष्ट्र के लिए शस्त्र उठाने में पीछे नहीं रहेंगे. शास्त्र के माध्यम से देशवासियों में चरित्र निर्माण करने के साथ हमें राष्ट्र के निर्माण में शस्त्र उठाना भी आता है. आज की परिस्थितियों के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जनता माफ नहीं करेगी. -महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती
अभी नहीं तो कभी नहीं
छोटे-छोटे देशों की जमीनें हड़पने कि नीति पर आगे बढ़ रहे चीन ने भारत के साथ पंगा लेकर बर्र के छत्ते में हाथ डालने का काम किया है. यह 60 साल पहले वाला भारत नहीं है. यही सही मौका है कि चीन को सबक सिखाया जाए. अभी नहीं तो कभी नहीं. सैनिकों के साथ धोखा करने वालों को जनता भी सबक सिखाए. -मंगलपीठाधीश्वर स्वामी माधवाचार्य महाराज