sero survey

Loading

सूरज पांडेय 

मुंबई. बीएमसी द्वारा किए गए पहले सीरो सर्वे में बिल्डिंग के निवासियों से मिले कुछ खट्टे अनुभव के बाद अब बीएमसी उन्हें समझने में जुट गई है. बीएमसी के अधिकारी बिल्डिंगों के सेक्रेटरी से बातचीत कर निवासियों को एंटीबॉडी टेस्ट करवाने और सर्वे में सहयोग करने के लिए समझा रहे हैंं. 

जुलाई महीने में बीएमसी ने मुंबई के स्लम और नॉन स्लम में सीरो सर्वे किया था.आर नार्थ (दहिसर), एम-वेस्ट (चेंबूर, तिलकनगर), एफ-नार्थ (वडाला, सायन, माटुंगा) इन तीन वार्डों में सर्वे किया गया था. पहले सर्वे में नॉन स्लम से 4000 सैंपल लिए जाने थे, लेकिन बिल्डिंग वालों की आनाकानी के कारण केवल 2,702 ही सैंपल कलेक्ट हो पाए. यानी बिल्डिंग में रहने वालों ने सर्वे में काफी कम सहयोग किया था. 

सेक्रेटरी से समन्वय साध रहे 

बीएमसी की उप कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने कहा कि नॉन-स्लम में रह रहे लोग सर्वे में मदद करें इसलिए हमारे वार्ड अधिकारी और वालंटियर सोसाइटियों में जा कर सेक्रेटरी से समन्वय साध रहे हैं. एंटीबाडी टेस्ट को लेकर लोगों की हिचकिचाहट को दूर करने का प्रयास विगत कुछ दिनों से जारी है. आर नार्थ वार्ड के एक वालंटियर ने बताया कि स्लम वाले सर्वे में काफी सहयोग करते हैंं जबकि नॉन स्लम के निवासी का व्यवहार ठीक नहीं होता.कई लोगों का अड़ियल रवैया होता है तो कुछ सीधे मुंंह बात भी नहीं करते हैं. तो कुछ में यह डर भी होता है कि यदि एंटीबॉडी टेस्ट पॉजिटिव आई तो हमें क्वारंटाइन न कर दें, जबकि ऐसा नहीं है.

क्या है सीरो सर्वे  

सीरो सर्वे में व्यक्ति का ब्लड सैम्पल लेकर एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है. यदि कोई व्यक्ति कोरोना से ग्रसित होकर खुद से ठीक हो गया है तो सीरो सर्वे के तहत उसके बॉडी में विकसित हुए एंटीबॉडी के बारे में जानकारी मिल सकेगी. इससे कम्युनिटी स्तर पर कोरोना का कितना फैलाव हुआ है पता चल सकेगा.