E-tickets of BEST Bus in Mumbai will also be linked with Universal Pass
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  • प्रशासन को सरकार स्तर पर पहल करने का निर्देश
  • मनपा की स्थायी समिति में बेस्ट बजट पर चर्चा

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मुंबई. पिछले एक दशक से अधिक समय से आर्थिक संकट से  जूझ रही बेस्ट उपक्रम के अस्तित्व बचाने के लिए इसे मनपा में विलीन करने को लेकर शिवसेना राजी हो गयी है। स्थायी समिति के अध्यक्ष यशवंत जाधव ने मनपा प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह मनपा सदन में मंजूर प्रस्ताव को क्रियान्वित करने को लेकर सरकार स्तर पर पहल करे। बेस्ट कर्मचारियों की मांग पर बेस्ट (BEST) को मनपा में विलय करने का प्रस्ताव मनपा सदन में मंजूर हुआ था और उसे राज्य सरकार के पास भेजा गया था। 

मनपा की स्थायी समिति की बैठक में बेस्ट बजट पेश करने के दौरान समिति के अध्यक्ष  यशवंत जाधव ने कहा कि  घाटे में डूब रही बेस्ट (BEST) को कितना दिन अनुदान दिया जाएगा। इससे बेहतर होगा कि बेस्ट को मनपा में विलीन किया जाए। उन्होंने बेस्ट को मनपा की तरफ से दिए गए अनुदान का भी सही तरीके से उपयोग नही होने पर नाराजगी जताई। 

घाटे से उबारने के लिए मनपा अब तक बेस्ट को 2 हजार 500 करोड़ रुपए का अनुदान दे चुकी है। इसके बावजूद बेस्ट का अभी भी लगभग 2 हजार करोड़ का घाटा बना हुआ है। बेस्ट को बार -बार सहायता राशि देने के बजाय उसे मनपा में विलीन करने की बात शिवसेना की ओर से की जा रही है। बेस्ट को मनपा में विलीन करने के लिए मनपा सदन में भी सभी पार्टियों ने  एक स्वर से प्रस्ताव मंजूर कर राज्य सरकार के पास भेजा है। 

बेस्ट प्रशासन (Best Administration) की तरफ से पेश किए गए  2021 -22 के  1887 करोड़ घाटे वाले बजट को बेस्ट समिति ने मंजूर कर मनपा के पास भेजा है। जिस पर चर्चा शुरू हो गयी है। बुधवार को स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव ने कहा कि सहायता करने के बावजूद बेस्ट घाटे में डूबती जा रही है। उन्होंने  बेस्ट आधिकरियों से कहा कि बेस्ट बजट को मनपा में  विलीन करने का निर्णय मनपा सदन में लिया जा चुका है।

मनपा सदन में मंजूर  प्रस्ताव को राज्य सरकार  के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। राज्य सरकार की हरी झंडी मिलते ही बेस्ट बजट मनपा में विलीन हो जाएगी। बेस्ट के बढ़ते घाटे पर यशवंत जाधव ने बेस्ट के काम काज पर उंगली उठाई। उनका आरोप था कि मनपा जिन कामों के लिए बेस्ट को  पैसा देती है उपक्रम उसका उपयोग उस कार्य के लिए नहीं करता है। जिससे बेस्ट का घाटा बढ़ता जा रहा है।