शिवसेना ने एक फिर आगे किया मराठी माणूस का मुद्दा

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  • सुशांत मामले की धार को कुंद करने की कोशिश

मुंबई. सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत मामले में बिहार और केंद्र सरकार की भूमिका को देखते हुए शिवसेना ने अब मराठी कार्ड खेला है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मराठी कार्ड उछाल कर सुशांत मामले में लोगों की मिल रही सहानुभूति को कम करने की कोशिश की है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि शिवसेना का जन्म मराठी लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हुआ है और इसके लिए लिए संघर्ष जारी रहेगा.

अन्याय के खिलाफ लड़ाई शिवसेना की ताकत

  शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे द्वारा शुरु की गई साप्ताहिक पत्रिका मार्मिक के 60 साल पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई शिवसेना की ताकत है और पार्टी मराठी भाषी लोगों के मुद्दों को उठाना जारी रखेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता ने अपने कार्टूनों के जरिए मराठी भाषी लोगों के विभिन्न मुद्दों को रेखांकित किया और प्रवासियों का विरोध कर स्थानीय लोगों के प्रति अन्याय को उजागर किया. ठाकरे ने कहा कि उनकी सरकार ने स्थानीय लोगों को आरक्षण देने के लिए एक कानून बनाया है और मराठी को पाठ्यक्रम में अनिवार्य भी कर दिया है. ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र तब तक अधूरा है जब तक कि कर्नाटक के मराठी भाषी क्षेत्रों का राज्य में विलय नहीं हो जाता.

ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहित कुछ छोटे दलों के साथ मिल कर सरकार बनाने के बाद शिवसेना हिंदुत्व और मराठी मुद्दे पर नरम हो गई है. अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन कार्यक्रम और सुशांत मामले में अलग थलग पड़ने के बाद शिवसेना ने एक बार मराठी मुद्दे को आगे किया है. सुशांत मामले में महाराष्ट्र विरुद्ध बिहार बनाने की तैयारी चल रही है, जिसको देखते हुए शिवसेना महाराष्ट्र के लोगों की सहानुभूति हासिल कर सकती है.

मनसे का मिला साथ

सुशांत सिंह राजपूत मामले में पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे का नाम घसीटे जाने के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बचाव में कूद गई है. मनसे नेता बाला नांदगांवकर सहित अन्य कई नेताओं ने कहा है कि इस मामले में आदित्य को घसीटना ठीक नहीं है. ठाकरे परिवार का व्यक्ति इस तरह का काम नहीं कर सकता है.