- सभी विरोधी पार्टियां एक साथ
- बीएमसी कमिश्नर के अड़ियल रवैये से नाराज
- गुट नेताओं की बैठक का बहिष्कार
मुंबई. कोरोना संकट के बीच 4 महीने बाद सोमवार को बुलाई गई गुट नेताओं की बैठक विपक्षी नेताओं के बहिष्कार के कारण रद्द करनी पड़ी. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इस बैठक में सभी गुट नेता पहुंचे, लेकिन बीएमसी कमिश्नर ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया. वे अपने कक्ष से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मिटिंग में भाग लेने पर अड़े हुए थे जिसका गुट नेताओं ने विरोध किया. बीएमसी कमिश्नर के इस अड़ियल रवैये के कारण गुट नेताओं ने बैठक का बहिष्कार कर दिया. महापौर किशोरी पेडणेकर की उपस्थिति में बैठक बुलाई गई थी लेकिन महापौर के बुलावे के बाद भी कमिश्नर नहीं आये.
बीएमसी में बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और सपा के एक साथ आने से शिवसेना की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बीजेपी को छोड़कर अन्य पार्टियों के अप्रत्यक्ष समर्थन से शिवसेना बीएमसी की सत्ता पर काबिज है. महापौर चुनाव में राज्य सरकार की तरह यहां भी शिवसेना को कांग्रेस, एनसीपी, सपा का सहयोग मिला था. सभी दल पिछले दो महीने से वैधानिक समितियों की बैठक बुलाने की मांग कर रहे हैं जिसे मनपा कमिश्नर और शिवसेना नजरअंदाज कर रहे हैं. इससे विपक्षी नेताओं में कडुवाहट बढ़ गई है.
महापौर ने गुट नेताओं की बैठक बुलाई थी
कोरोना महामारी फ़ैलने के बाद मनपा सदन बैठक से लेकर कोई भी वैधानिक समिति तक की बैठक नहीं हो पाई है. पार्टी नेता की बैठक 5 बार रखी गई पर हर बार रद्द कर दी गई. सोमवार को महापौर किशोरी पेडणेकर ने मनपा सदन की बैठक लेने पर विचार करने के लिए गुट नेताओं की बैठक बुलाई थी.
31 मार्च के बाद किसी भी वैधानिक समिति की बैठक नहीं हुई
31 मार्च के बाद किसी भी वैधानिक समिति की बैठक नहीं हुई है. अप्रैल में ही समितियों का चुनाव होना था वह भी स्थगित है. पुराने समिति सदस्यों का कार्यकाल भी खत्म हो चुका है. नये सदस्यों का चयन किया जाना है. बैठक नहीं होने से शिवसेना के नगरसेवक भी नाराज हैं लेकिन वे कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. यशवंत जाधव स्थाई समिति अध्यक्ष हैं. उनको हटाए जाने की चर्चा है. बीएमसी कमिश्नर के रवैये की भीतरखाने आलोचना हो रही है, लेकिन पार्टी के दबाव में सभी मौन साधे हुए हैं. कोरोना काल में बीएमसी में सभी निर्णय कमिश्नर अकेले ले रहे हैं. अब बैठक में भी शामिल होने से मना करने पर विपक्षी पार्टियों के गुट नेता आगबबूला हैं. सभी ने बीएमसी कमिश्नर पर महापौर का अपमान किए जाने का आरोप लगाते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया. यशवंत जाधव ने कहा कि कमिश्नर को बैठक में आना चाहिए था. उन्होंने महापौर की गरिमा को ठेस पहुंचाई है.
प्रशासन पर सत्तापक्ष की पकड़ नहीं
बीएमसी प्रशासन पर सत्ताधारी शिवसेना की पकड़ ही नहींं रह गई है मनपा आयुक्त मनमानी कर रहे हैं. कोरोना काल मेंं जिस तरह कोरोना के नाम भ्रष्टाचार हुआ है उसके लिए मनपा कमिश्नर नगरसेवकों का सामना नही कर पाएंगे इसके लिए बैठक में नही आए. कार्यालय खत्म होने के बाद भी सत्तधारी दल समितियों का चुनाव नहीं कराना चाहता. भ्रष्टाचार उजागर होने के ड़र से समितियों की बैठक नहीं हो रही है. -प्रभाकर शिंदे,गुटनेता, भाजपा
कमिश्नर के खिलाफ विपक्ष लामबंंद
मनपा कमिश्नर के रवैये के खिलाफ विपक्ष लामबंद हो गया है. राज्य सरकार की मंत्रिमंडल की बैठक हो रही है तो मनपा के 10 सदस्यों की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बैठक क्यों नहीं हो सकती. कमिश्नर शुरू से ही जनप्रतिनिधियों का अपमान कर रहे हैं. जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. -रवि राजा, बीएमसी विरोधी पक्ष नेता