सिर्फ गालों से टैक्स पर भड़के लघु उद्यमी

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  • सभी प्रतिष्ठानों के अतिरिक्त निर्माण पर लगे कर

भायंदर. सिर्फ व्यावसायिक गालों और झोपड़ों के ऊपर हुए निर्माण पर ही संपति कर लगाने की सभागृह नेता की मांग पर सूक्ष्म और लघु उद्यमियों ने कड़ा ऐतराज जताया है.उनका कहना है कि होटल,पार्टी हॉल,खुले में मैरेज हॉल सहित सभी तरह के ऐसे प्रतिष्ठान, जिनके ऊपर अतिरिक्त निर्माण हुआ है,उन सभी पर भी संपति कर लगाया जाए.

 स्टील उद्यमी दिलीप घरत कहते हैं कि 80 के दशक में मीरा-भायंदर एशिया का सबसे बड़ा स्मॉल इंडस्ट्रीज क्षेत्र था, लेकिन स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई नीति और रियायत नहीं मिलने के कारण यह तमगा इस शहर से छिन गया.उद्योग-धंधा वसई- नालासोपारा, विरार, पालघर, वापी, डहाणू में पलायन कर गए और इंडस्ट्रीज यहां की सिकुड़ती चलीं गई. काशी गांव, मीरा व भायंदर पूर्व इंडस्ट्रियल में कई कंपनियों पर ताले लटक रहे हैं. ऐसा होने से सरकार का राजस्व और रोजगार कम हो गया है.

गालों के पुनर्विकास की बने नीति 

श्री भायंदर स्टीलनेस स्टील मैन्युफैक्चरिंग एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष,उद्यमी और भाजपा जिला उपाध्यक्ष हंसुकुमार पांडेय कहते हैं कि जिन गालों के ऊपर निर्माण हुआ है,उनका टैक्स भरने के लिए हम सभी तैयार हैं, लेकिन पहले उन्हें नियमित किया जाए. 30 से 40 साल पहले बने गाले जमीन में भीतर चलें गयें हैं.काम-धंधा चालू रखना है तो हमें उनको ऊपर उठाना जरूरी है, इसलिए मीरा-भायंदर मनपा गालों के पुनर्विकास की नीति बनाकर मंजूरी देना शुरू करे. मनपा के बजट में इंडस्ट्रियल फंड के नाम पर खानापूर्ति की जाती है.उद्योग धंधा बचा रहेगा तभी मनपा और सरकार को राजस्व और लोगों को रोजगार मिलेगा.