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  • एसआरए में म्हाडा नियम लागू करने की मांग

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मुंबई. म्हाडा (MHADA) निर्मित घरों को बेचने के लिए शर्तों में बदलाव करते हुए राज्य सरकार (State Government) ने पांच वर्ष कर दिया है। म्हाडा की तर्ज पर एसआरए (SRA) में भी नियमों (Rules) को बदलने की मांग तेज हो गई है।  एसआरए ने 10 वर्ष के भीतर घर बेच कर शर्त भंग करने वालों को सेक्शन 3 ई के तहत घर खाली करने का नोटिस (Notice) भेजने की शुरुआत की है। इससे  घर बचने वाले हजारों लोगों में हड़कंप मच गया है। घर खरीदने वाले 13 हजार निवासियों पर बेघर होने का खतरा मंडराने लगा है।

एसआरए योजना के तहत मिले घरों को 10 वर्ष और म्हाडा के घरों को पांच वर्ष तक नहीं बेचा जा सकता है। राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह म्हाडा के घरों की बिक्री करने की शर्त को  7 वर्ष से घटा कर पांच वर्ष कर दिया है, लेकिन एसआरए के घरों की बिक्री करने की शर्त में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे लोगों में तीव्र नाराजगी है। 

कार्रवाई न करके जुर्माना लेकर संरक्षण दिया जाना चाहिए

एड. शशिकांत कदम का कहना है कि म्हाडा की तरह एसआरए के घरों की बिक्री के नियमों को भी शिथिल कर 5 वर्ष किया जाना चाहिए। कदम ने कहा कि एसआरए को ऐसे लोगों पर कार्रवाई न करके जुर्माना लेकर संरक्षण दिया जाना चाहिए। घरों को रेगुलर करने के लिए जिन लोगों ने एसआरए में आवेदन दिया है उन प्रकरणों को बंद किया जाना चाहिए।

म्हाडा EWS के तहत घर खरीदने वालों के घरों को रेग्युलाइज करने के लिए 15 से 20 हजार रुपए शुल्क वसूलता है, जबकि एसआरए घर ट्रांसफर करने के लिए स्टैंप ड्यूटी के अनुसार लाखों रुपए ट्रांसफर फीस वसूलता है। दोनों संस्थाएं गृहनिर्माण विभाग के अंतर्गत आने के बाद भी अलग-अलग नियम क्यों? सरकार को एसआरए योजना के तहत घर खरीदने वाले हजारों निवासियों के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए।

-एड. शशिकांत कदम