राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता समर्थकों को गांव भेजने में सफल

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– बिना पहचान वालों को नहीं मिली सूची में जगह

– मायूस होकर लौटे काफी संख्या में प्रवासी

भायंदर. मीरा-भायंदर के यात्रियों के लिए वसई से जौनपुर के लिए सोमवार को छूटी ट्रेन में जितने यात्री गांव गए,उससे कहीं ज्यादा मायूस होकर घर लौट गए. हालांकि अंतिम समय में अधिकारियों की रजामंदी से राजनीतिक दलों के कई कार्यकर्ता अपने-अपने परिचितों व समर्थकों को गांव रवाना करने में सफल रहे. लेकिन जिन यात्रियों की किसी कार्यकर्ता से पहचान नहीं थी,उन्हें गांव जाने वाले यात्रियों की सूची में जगह नहींं मिली.

दरअसल मीरा-भायंदर के लोगों के लिए वसई से जौनपुर के लिए ट्रेन छोड़ने की तैयारी चल रही थी.इसके लिए शिवसेना के स्थानीय नेता विक्रम प्रताप सिंह ने अग्रणी भूमिका निभाई थी.सोमवार को ट्रेन को हरी झंडी मिल गई.इसकी खबर लगते ही यात्री जैसलपार्क चौपाटी पर आना शुरू हो गये, हालांकि बड़ी संख्या में यात्री सुबह से ही चौपाटी पर जमा हो गए थे.पुलिस उन्हें वहां से भगाई भी,लेकिन फिर आ गए.

और कम से कम चार ट्रेनें छोड़ने की जरूरत 

दोपहर दो बजे के बाद जो लोग आए,उन्हें पहले ही बैरिकेटिंग कर रोक दिया गया,क्योंकि चौपाटी पर करीब सीट बराबर यात्री हो गए थे.यहीं से यात्रियों को बस द्वारा वसई ले जाया गया.इस ट्रेन से गांव जाने के लिए जौनपुर के आस-पास के जिलों आजमगढ़, भदोही,मऊ तक के लिए आये थे और गए भी. नगरसेवक मदन सिंह तथा शिवसेना के स्थानीय प्रवक्ता शैलेष पांडेय ने कहा कि पूर्वांचल के लिए अभी और कम से कम चार ट्रेनें छोड़ने की जरूरत है,तब कहीं जाकर सारे लोग गांव जा सकेंगे.