197 teachers' December salary halted
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मुंबई. सरकार द्वारा स्कूल खोलने की घोषणा तो कर दी गई है, लेकिन प्रिंसपल, शिक्षक और अभिभावकों विस्तृत एसओपी का इंतजार कर रहे हैं. इसी के साथ प्रिंसपल का मानना है कि शुरुआत में ग्रमीण इलाकों में स्कूल खोले जाए उसके बाद शहर में.

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 23 नवंबर से 9वीं से 12वीं तक की कक्षा प्रत्यक्ष रूप से शुरू करने की घोषणा की है. यह निर्णय मुंबई समेत महाराष्ट्र में कोरोना के मामलों में गिरावट को ध्यान में रखकर लिया गया है. शिक्षकों की कोरोना टेस्टिंग की भी बात सीएम ने कही है, लेकिन अभी भी सरकार ने स्कूल और कॉलेजों के रूटीन कार्यप्रणाली कैसी होनी चाहिए इसको लेकर शैक्षणिक संस्थानों को कोई एसओपी नहीं दी है.

अभी एसओपी भी नहीं आई 

 पेरेंट्स टीचर्स एसोसिएशन (पीटीए) की अध्यक्ष अरुंधति चवान ने कहा की कुछ शिक्षक ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 से अधिक और अन्य बीमारी है. अब उन्हें यह डर है कि कहीं आने-जाने में वे संक्रमित हो गए तो उनके इलाज की जिम्मेदारी कौन लेगा. अभी एसओपी भी नहीं आई है. कही न कहीं अभिभावकों में भी यह डर है कि स्कूल में साफ-सफाई कैसी होगी. खासकर शौचालय में जहां कॉमन टॉयलेट और बाथरूम होते हैं. 

ग्रामीण क्षेत्र में पहले स्कूल खोलने चाहिए

मुंबई मुख्याध्यापक संघटन के सचिव प्रशांत रेड्डीज ने कहा कि सरकार पर स्कूल खोलने को लेकर दबाव नहीं बनाना चाहिए. दुर्भाग्यवश किसी बच्चे को कुछ हो जाता है तो अभिभावक सरकार, स्कूल प्रशासन को ही कोसेंगे. अभी सरकार से कोई एसओपी भी नहीं मिली है. हमारे संघटन का मत यही है कि सरकार को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन को ध्यान में रखकर स्कूल खोलने का निर्णय लेना चाहिए. सरकार को प्रायौगिक तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में पहले स्कूल खोलने चाहिए. स्कूल ज्यादा दूर नहीं है. विद्यार्थियों की संख्या भी शहर के स्कूलों की तुलना में कम होती है. यदि वहां हमें सफलता मिलती है तो फिर शहर में ग्रीन जोन में स्कूल खोलने चाहिए. 1 लाख शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करनेवाले शिक्षक भर्ती संघटन के सुभाष मोरे ने कहा कि सरकार को पहले ग्रामीण फिर शहर के स्कूलों को खोलना चाहिए. स्कूल के पानी, बिजली बिल बकाया है. ऊपर से सैनिटाइजेशन और अन्य उपकरणों के खरीदी का भार भी है. जब तक इन मुद्दों का हल नहीं होता तब तक स्कूल शुरू करना मुश्किल होगा.