आईटी की पढ़ाई कर अमेरिका में जॉब की राह कठिन

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– एक्सपर्ट्स बोले- विद्यार्थी होंगे निराश

मुंबई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा पर इस वर्ष के अंत तक रोक लगाने की घोषणा से आईटी पेशेवर युवाओं को काफी गहरा झटका लगा है.आईटी एक्सपर्ट्स की माने तो अमेरिकी सरकार का यह निर्णय नौकरी की आस में बैठे युवाओं और विद्यार्थियों के लिए निराशाजनक साबित हो रही है. 

एचबी-1 वीजा देने के प्रतिबंध को दिसंबर 2020 तक बढ़ाने की घोषणा मंगलवार को की गई. जानकारों की माने तो इसका कई भारतीय आईटी पेशेवरों और कई अमेरिकी एवं भारतीय कंपनियों पर प्रभाव पड़ सकता है जिनको अमेरिकी सरकार ने एक अक्टूबर से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2021 के लिए एच-1बी वीजा जारी कर दिए थे.यह घोषणा बड़ी संख्या में उन भारतीय आईटी पेशेवरों को भी प्रभावित करेगी जो अपने एच-1बी वीजा के नवीनीकरण की प्रतीक्षा में थे. यह खबर जॉब की तलाश कर रहे युवकों के अलावा उनके लिए भी बुरी है जो आईटी की पढ़ाई कर रहे हैं. 

युवाओं का टूटा सपना

डालमिया कॉलेज के प्रिंसपल एनएन पांडेय ने बताया कि हमारे युवकों के लिए यह बहुत बुरी खबर है. हमारे कॉलेज में भी कई बच्चे बीएससी आईटी की पढ़ाई के लिए आते हैं. कई अमेरिका में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल जैसी मल्टी नेशनल कंपनियों में नौकरी करने का सपना देखते हैं, लेकिन जब यह खबर आती है कि वर्क वीजा नहीं मिलेगा तो कहीं न कहीं उनका मनोबल भी टूटता है.

युवाओं को आहत करने वाली खबर

 मुंबई यूनिवर्सिटी के एसोसिएट डीन ऑफ टेक्नोलॉजी डॉ. सुरेश उकरांडे ने बताया कि अमेरिका के इस फैसले से युवाओं का नुकसान तो है. दुनिया इस समय बुरी परिस्थिति से गुजर रही है. कोरोना के कारण सभी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं. ऐसे में यह निर्णय हमारे विद्यार्थियों को भी कहीं न कहीं आहत करेगा. अमेरिका ही नहीं इंडिया में भी पढ़ना हो या नौकरी की तलाश करना मुश्किल है.आईटी प्रोफेशनल मीनाक्षी मिश्रा ने बताया कि इस फैसले से लोगों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा. वैसे भी अमेरिका में स्किल के आधार नौकरियां मिल रही हैंं. पहले लॉटरी के समय भी लोगों को जल्दी वीजा नहीं मिलता था. 

भविष्य में स्थिति हो सकती है सामान्य

आईटी एक्सपर्ट रितेश भाटिया ने कहा कि वैसे भी अमेरिका की जो नीति है उस हिसाब से पहले की तुलना में अब काफी कम जॉब हो गए हैं. कुछ समय के लिए परेशानी होगी लेकिन आगे स्थिति सामान्य हो सकती है.अमेरिका के इस फैसले से गूगल व अन्य बड़ी कंपनियों ने खेद भी प्रकट किया है.