मुंबई. कोरोना वायरस का सबसे बड़ा खतरा 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों को ज्यादा रहता है और ज्यादातर मौत भी अधिक आयु के लोगों की सबसे अधिक है. बुजुर्गों का इलाज और मृत्युदर कम करने के उद्देश्य से बीएमसी ने 50 वर्ष की आयु से अधिक वाले मरीजों को अस्पताल में क्वारंटाइन करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब बीएमसी ने यू-टर्न लेते हुए बुजुर्गों को घर में क्वारंटाइन करने का फैसला किया है.
मुंबई में कोरोना से संक्रमित बुजुर्ग मरीजों की मृत्युदर तेजी से बढ़ रही है जिसे कम करने के लिए बीएमसी ने 21 अगस्त को सभी बुजुर्गों को अस्पताल में इलाज करने का निर्णय लिया था. लेकिन एक बार फिर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण निजी आईसीयू बेड अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं. बीएमसी के बनाये कोविड सेंटर हों या अस्पताल उसमें ज्यादातर बुजुर्ग उपचार के लिए जाने को तैयार नहीं है. अब बीएमसी ने अलक्षणीय (असिम्प्टोमैटिक) मरीजों को घर पर ही क्वारंटाइन करने का निर्णय लिया है.
आईसीयू बेड फुल हो चुके
मुंबई में मिल रहे मरीजों में अलक्षणीय मरीजों की संख्या 70-80% है. इनको घर पर ही क्वारंटाइन किया जा रहा था. मृत्युदर रोकने के लिए 60 वर्ष से अधिक आयु वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना अनिवार्य कर दिया था. जिससे उचित देखभाल और उपचार मिल सके. बुजुर्गों को अच्छे से उपचार मिल सके इसलिए परिजनों ने निजी अस्पतालों को प्राथमिकता दे रहे थे. निजी अस्पतालों में अलक्षणीय मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. निजी अस्पतालों में आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं. कोरोना लक्षण वाले सभी मरीजों को बेड उपलब्ध कराने के लिए बीएमसी ने यह निर्णय लिया है.
ज़रूरतमंद मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा
बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी इससे पहले कई बार कह चुके हैं कि पैसे वाले निजी अस्पतालों में अलक्षणीय होते हुए भी बेड कब्जा करके रखते हैं, इससे ज़रूरतमंद मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है. बीएमसी के इस निर्णय से चाहे अमीर हो गरीब सभी अलक्षणीय मरीजों को घर में ही क्वारंटाइन किया जाएगा. 57% बुजुर्गों की कोरोना से मौत हो चुकी है.
स्लम में कोरोना मरीजों की संख्या घट रही
बीएमसी अधिकारी का कहना है कि स्लम इलाकों में कोरोना मरीजों की संख्या घट रही है वहीं इमारतों और हाईफाई सोसायटियों में मरीजों बढ़ रहे हैं. बीएमसी के पूर्व में लिए गये निर्णय के कारण इमारतों के निवासी बीएमसी अस्पतालों में भर्ती नहीं होते थे. वे निजी अस्पतालों को प्राथमिकता देते थे और लंबे समय तक बेड़ को कब्ज़ा करके रखते थे. अब ऐसे मरीजों को घर पर रख कर वॉर रुम की तरफ से रोजाना उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जाएगी.
बुजुर्गों का ध्यान रखना आवश्यक : डॉ आशीष तिवारी
सीनियर फिजिशियन और कंसलटेंट डॉ आशीष तिवारी ने बताया कि बीएमसी के इस कदम से सवाल यह उठता है कि आखिर उनकी नर्सिंग केयर कौन करेगा क्योंकि दूसरे अन्य लोग ज्यादातर काम के सिलसिले में बाहर होते हैं. बुजुर्गों को को-मोर्बिडिटी भी रहती है सो ऐसे मामलों में रिस्क फैक्टर बढ़ जाता है और इसलिये उनकी रूटीन देखभाल बहुत जरूरी होती है. उम्मीद की जाती है कि बीएमसी ने इसका ख्याल अवश्य रखा होगा. किसी भी तरह की लापरवाही मृत्युदर को बढ़ा सकती है, जो पहले से ही चिंता का विषय बना हुआ है.
जंबो कोविड सेंटर में 250 नए आईसीयू बेड्स
मुंबई में एक बार फिर कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ऐसे में बीएमसी ने 27 निजी अस्पतालों को कोविड अस्पतालों में तब्दील करने के साथ-साथ अपने जंबो कोविड केअर सेंटर में भी 250 आईसीयू बेड्स स्थापित किए हैं. मुंबई में कम आईसीयू बेड्स को देखते हुए बीएमसी ने बेड्स की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है. गोरेगांव स्थित नेस्को, बीकेसी, मुलुंड और भांडुप स्थित जंबो कोविड केअर सेंटर में लगभग 250 आईसीयू बेड्स बढ़ा दिए गए हैं. मनपा की उप कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने कहा कि बेड्स की संख्या बढ़ा दी गई. निकट भविष्य में जरूरत के अनुसार और भी बेड्स बढ़ाए जा सकते हैं.