Uddhav government hopes rested on MSRDC

  • 1.86 लाख करोड़ के इंफ़्रा प्रोजेक्टस शुरू करने की जिम्मेदारी

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मुंबई. उद्धव सरकार में एमएसआरडीसी (MSRDC) के अच्छे दिन आने वाले हैं। भारी कर्ज के चलते पिछली सरकारों द्वारा साइडलाइन (Sideline) किए गए महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को अब महत्व देते हुए उद्धव सरकार ने लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपए के इंफ़्रा प्रोजेक्ट शुरू करने की जिम्मेदारी दी है। रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में माहिर मानी जाने वाली एमएसआरडीसी को राज्य सरकार (State Government) ने फ्लैगशिप टेम्पल प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट के साथ कई बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स (Many Building Construction Projects) के  काम देने का निर्णय लिया है। 

इंफ्रास्ट्रक्चर पर हाल ही में सरकार की कैबिनेट कमेटी (सीसीआई) ने  महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) को 1.86 लाख करोड़ रुपये की 7  बड़ी परियोजनाएं  शुरू करने की अनुमति दी है। इनमें प्रमुख रूप से 39,841 करोड़ रुपये की लागत वाली  126 किमी लंबी विरार-अलीबाग मल्टी मोडल कॉरिडोर (VAMMC) परियोजना है जो एमएमआरडीए के माध्यम से शुरू होने वाली थी। वर्ष 2011 में ही बनी यह परियोजना भूमि अधिग्रहण और अन्य मंजूरी के चलते ठंडे बस्ते में ही रही।

कर्ज से उबरेगी एमएसआरडीसी

वर्ष 1996 में तत्कालीन सेना-बीजेपी युति सरकार द्वारा गठित एमएसआरडीसी को देश के पहले मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे (Mumbai-Pune Expressway) को बनाने के अलावा मुंबई (Mumbai) में कई उड़ानपुल बनाने का श्रेय जाता है। बाद के समय में सरकार बदलने के साथ  एमएसआरडीसी की उपयोगिता कम  होती गई । निगम पर  लगभग 7000 करोड़ का कर्ज भी हो गया।अब इसे उबारने के लिए बड़े प्रोजेक्टों को शुरू किए जाने की जिम्मेदारी उद्धव सरकार देने जा रही है।

मुंबई के बाहर ज्यादातर प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी

पिछले लगभग 15 साल से एमएमआरडीए के माध्यम से ज्यादातर इंफ़्रा प्रोजेक्ट किए गए हैं। उद्धव सरकार चाहती  है कि मुंबई के बाहर ज्यादातर प्रोजेक्ट एमएसआरडीसी के माध्यम से पूरे हों। वसई-अलीबाग कॉरिडोर के  अलावा समिति ने उप-मुख्यमंत्री की मांग पर 174 किलोमीटर लंबी पुणे बाहरी रिंग रोड का काम एमएसआरडीसी को सौंपा है। इसके लिए 4,500 करोड़ रुपए की निधि को मंजूरी दी है। एमएसआरडीसी को कोंकण एक्सप्रेस वे (71,000 करोड़), नांदेड़-जालना एक्सप्रेस वे (7,000 करोड़) और मुंबई सागर लिंक (32,000 करोड़ रुपए) की वर्सोवा-विरार लिंक के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। इसे 10,000 करोड़ रुपए के तटीय राजमार्ग के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है, जो रायगढ़, रत्नागिरि और सिंधुदुर्ग को जोड़ता है। इस तरह एमएसआरडीसी पर कूल 2.62 लाख करोड़ रुपए की परियोजनाएं शुरू करने की जिम्मेदारी निकट भविष्य में होगी।

समृद्धि महामार्ग पर लक्ष्य

एमएसआरडीसी के एमडी राधेश्याम मोपलवार के अनुसार, 710 किमी लम्बे मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग को मई 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है। अब तक लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। कैबिनेट समिति ने समृद्धि परियोजना के लिए 18 किलोमीटर लंबे नासिक कनेक्टर को भी मंजूरी दी है, जिसकी लागत 250 करोड़ रुपए है। बहुउद्देशीय समृद्धि परियोजना लगभग 55 हजार करोड़ की है। मोपलवार के अनुसार, विरार-अलीबाग कॉरिडोर के साथ रिंग रोड परियोजना आदि अब एमएसआरडीसी की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले कार्य हैं। इन्हें 2024 के पहले पूरा करना है।

अन्य परियोजना पर कार्य

एमएसआरडीसी पहले से ही मिसिंग मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे लिंक (6,600 करोड़ रुपए), वर्सोवा बांद्रा सी लिंक (11,000 करोड़ रुपए) और ठाणे क्रीक ब्रिज- III (800 करोड़ रुपए)  की परियोजनाओं पर कार्य कर रही है। परियोजनाओं के विकास के लिए अब एमएसआरडीसी पर उद्धव सरकार की उम्मीदें बढ़ गईं हैं।  

कुछ प्रमुख प्रोजेक्ट्स 

  • 710 किमी लंबा मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग
  • 126 किमी लंबा विरार-अलीबाग मल्टी मोडल कॉरिडोर
  • 174 किलोमीटर लंबा पुणे आउटर रिंग रोड
  • 18 किलोमीटर  लंबा नासिक कनेक्टर 

अन्य प्रोजेक्ट्स  

  • मिसिंग मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे लिंक
  • वर्सोवा बांद्रा सी लिंक
  • ठाणे क्रीक ब्रिज- III