UK return youth took pledge to change their village's picture, won panchayat elections by one vote

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मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra)  में पिछले सोमवार को घोषित ग्राम पंचायत के चुनाव (Gram Panchayat Elections) परिणामों को लेकर राजनीतिक दलों (Political Parties) में भले ही उहापोह का माहौल हो, परंतु कुछ रिजल्ट (Result) ग्रामीण जीवन को नई दिशा देने वाले साबित हो सकते हैं। इनमें से ही एक बीड जिले के परली वैजनाथ तहसील गडाडेवाड़ी गांव है, जहां यूके (UK) से  इंजीनियरिंग (Engineering) की डिग्री लेने वाले युवा उद्यमी सुशांत सिंह पवार (Sushant Singh Pawar) ने मात्र एक मतों (One Vote) से पंचायत का चुनाव जीत कर अपने गांव का चेहरा-मोहरा बदलने  का प्रण लिया है।

नॉटिंघम यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले सुशांत सिंह पवार के पिता रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। इनके चाचा भी प्रशासनिक अधिकारी हैं, जबकि दादा जी वारकरी संगठन के माध्यम से 83 साल की उम्र में भी समाजसेवा करते हैं। परिवार में संघर्ष, समाजसेवा और प्रशासनिक परंपरा है। सुशांत ने अपनी जन्मभूमि गडाडेवाड़ी के पिछड़ेपन को देखते हुए बदलाव का निर्णय लिया।

गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव 

‘नवभारत’ से बातचीत करते हुए सुशांत ने कहा कि आज भी उनके गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। काफी दूर से पानी लाना पड़ता है। इनके पैनल ने 4 सीटों पर विजय हासिल की, जबकि विरोधी पैनल को 3 सीटें मिलीं।

पीएचसी के लिए दिया आधा घर

प्राथमिक आरोग्य केंद्र (पीएचसी) का सब सेंटर गांव में मंजूर था, लेकिन उसके लिए जगह ही नहीं मिल रही थी। सुशांत ने आगे आकर अपना आधा घर आरोग्य उपकेन्द्र बनाने के लिए दे दिया। सुशांत का मानना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और साफ पानी से गांवों की तस्वीर बदली जा सकती है। गडाडेवाड़ी में बच्चों को आंगनवाड़ी के लिए इमारत नहीं है।  90 प्रतिशत लोग गन्ना तोड़ मजदूर हैं। वे इस हालात को बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गांव में नशामुक्ति और युवाओं को रोजगार की दिशा में वे प्रयास करेंगे। सुशांत पवार के साथ दो और युवा गांव के लिए अच्छा काम रहे हैं। इनमें एक परली प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर और दूसरे औरंगाबाद में नौकरी करते हैं।

मुंबई का बिजनेस छोड़ गांव के लिए समय

मुंबई में स्थापित अपना व्यवसाय छोड़ कर सुशांत सिंह पवार अपने गांव गडाडेवाड़ी की बेहतरी के लिए समय देना चाहते हैं। सुशांत ने कहा कि हमारे गडाडेवाड़ी जैसे सैकड़ों गांव हैं जिनकी स्थिति 100 सालों में नहीं बदली है। सक्षम युवा यदि गांव की तरफ ध्यान देंगे तो गांव और अपने  देश की स्थिति जरुर बदलेगी।