बीजेपी के खिलाफ खड़से का इस्तेमाल!

  • शिवसेना के खिलाफ भुजबल का प्रयोग कर चुके हैं पवार
  • ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की कवायद

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मुंबई. भ्रष्टाचार के आरोप लगने की वजह से वर्ष 2016 में मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले बीजेपी के कद्दावर नेता रहे एकनाथ खड़से आखिरकार शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. हालांकि उन्होंने बुधवार को ही बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर दिया था. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार अब खड़से का इस्तेमाल भाजपा के खिलाफ करेंगे. इसके साथ ही खड़से ओबीसी वोटरों को भी एनसीपी के पाले में लाने का काम करेंगे.

राज्य में भले ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास आघाड़ी की सरकार है, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद में बीजेपी नंबर वन है. पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस राज्य का दौरा कर अपनी आक्रामक भूमिका से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम कर रहे हैं. आघाड़ी के नेताओं को राज्य में पाशा पलटने का डर सता रहा है. जिसको देखते हुए ही भाजपा की ताकत को कम करने को लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बड़ी राजनीतिक चाल के तहत एकनाथ खड़से को पार्टी में शामिल किया है. 

पवार ने 30 साल पहले भी किया था प्रयोग 

पवार ने इसी तरह का प्रयोग 30 साल पहले भी किया था. उस समय उन्होंने शिवसेना को कमजोर करने के लिए छगन भुजबल को कांग्रेस में शामिल करवाया था. हालांकि वर्ष 1995 के चुनाव में छगन भुजबल कांग्रेस को बहुत फायदा तो नहीं दिलवा पाए, लेकिन राज्य में शिवसेना-भाजपा युति की सरकार बनने के बाद विपक्ष के नेता रूप में भी भुजबल शिवसेना पर हमला करते रहे. कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे का इस्तेमाल शिवसेना के खिलाफ किया. बीजेपी में शामिल होने के बावजूद राणे ने शिवसेना के खिलाफ आक्रामक रुख को नहीं छोड़ा है.

खड़से ने राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा दिया था

 एकनाथ खड़से बीजेपी के दिग्गज नेता रहे हैं और महाराष्ट्र की राजनीति में उनका लंबा कार्यकाल रहा है. मुक्ताईनगर विधानसभा सीट से पिछले चुनाव तक वह 6 बार से लगातार जीतते आए. साल 2014 में फडणवीस सरकार में खड़से को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन जमीन कब्जाने के आरोपों में उन्होंने राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद से वे बीजेपी विशेषकर देवेंद्र फडणवीस से नाराज चल रहे थे. वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में खड़से को पार्टी ने टिकट नहीं दिया था. इस बात से नाराज खड़से ने देंवेंद्र फडणवीस और गिरीश महाजन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. 

… तो सीडी चालू हो जाएगी 

बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद भी खड़से ने केवल देवेंद्र फडणवीस पर ही आरोप लगाया. वर्तमान में देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र भाजपा का चेहरा हैं. देवेंद्र फडणवीस को घेरने का मतलब पूरी बीजेपी को कठघरे में खड़ा करना है. इसका आगाज खड़से ने एनसीपी में शामिल होने के साथ ही कर दिया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि ईडी लगाओगे तो सीडी चालू हो जाएगी. खड़से पहले से ही देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ सबूत होने का दावा करते रहे हैं. अब बीजेपी के खिलाफ एनसीपी उन सबूतों का इस्तेमाल कर सकती है.

मराठा राजनीति पर एनसीपी की पकड़ 

राज्य के मराठा राजनीति पर एनसीपी की पकड़ बनी हुई है, लेकिन राज्य में मराठा के बाद सबसे अधिक प्रभाव ओबीसी का है. वर्ष 2019 के चुनाव परिणामों के बाद से ही शरद पवार ओबीसी वोट बैंक को वापस राकांपा के पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. एनसीपी में जितेंद्र आव्हाड और छगन भुजबल जैसे दो बड़े और सक्रिय ओबीसी नेता हैं. ओबीसी वोट बैंक को और मजबूत करने की कोशिश के तहत ही पवार ने एकनाथ खड़से को एनसीपी में शामिल किया है. अपनी मोर्चाबंदी को और पुख्ता करना चाहते हैं.