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  • अस्पताल की ओपीडी में 120 से 150 मरीज रोजाना
  • डॉक्टर बोले मामलों में होगा इजाफा

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सूरज पांडे

मुंबई. मुंबई में मौसम करवट ले रहा है. दिन में गर्म और रात में हल्की ठंड आभास विगत एक सप्ताह से मुंबईकर कर रहे हैं. मौसम में जो बदलाव आ रहा है वह अपने साथ फीवर जैसी स्वास्थ्य समस्या भी ला रहा है. मनपा के प्रमुख अस्पतालों में रोजाना फीवर के 120 से 150 मामले देखने को मिल रहे हैं. 

जांच में कुछ पॉजिटिव निकल रहे हैं तो कुछ में केवल बुखार है. डॉक्टरों ने मुंबईकरों को चेताया है कि वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें क्योंकि आने वाले दिनों में यह आंकड़ा बढ़ने वाला है.

मौसम लोगों को परेशान कर सकता है

मुंबई में सर्द-गर्म मौसम लोगों  को परेशान कर सकता है. 2019 तक बुखार आम बात थी, लेकिन जब से कोरोना की एंट्री हुई बुखार आना भी खतरे की घंटी ही है. अब जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी बुखार से ग्रसित होने वालों की संख्या में भी इजाफा होना लाजमी है.  मनपा के नायर अस्पताल से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले एक साप्ताह यानी 1 से 7 नवंबर तक ओपीडी में फीवर के कुल 902 मरीज आए हैं. जबकि 25 से 31 अक्टूबर तक 866 लोग बुखार की शिकायत लेकर ओपीडी में पहुंचे थे. आंकड़े साफ दर्शातें है कि धीरे-धीरे ही सही फीवर के मामलों में वृद्धि हो रही है. 

मरीजों की रैपिड टेस्टिंग कर रहे

केईएम अस्पताल में भी फीवर ओपीडी का आंकड़ा रोजना 100 से पार ही दर्ज किया गया है. मनपा के सायन अस्पताल में भी पिछले एक सप्ताह में औसतन 120 से 150 मरीज फीवर की शिकायत लेकर ओपीडी में पहुंच रहे हैं. सायन अस्पताल के असिस्टेंट मेडिकल अफसर ने बताया कि हम बुखार की शिकायत लेकर आ रहे सभी मरीजों की रैपिड टेस्टिंग कर रहे हैं. काफी लोग पॉजिटिव पाए जाते हैं तो कुछ की रिपोर्ट निगेटिव भी आती है. हम उन्हें संदिग्ध मान कर उनका उपचार करते हैं. 

सेहत का खासा ध्यान रखने की जरूरत

मनपा प्रमुख अस्पतालों के निदेशक और नायर अस्पताल के डीन डॉ. रमेश भारमल ने कहा कि फिलहाल फीवर के मामलों में उतनी बढ़त नहीं देखने को मिल रही है, लेकिन आने वाले समय मामलों में वृद्धि होगी. मुंबईकरों को अपनी सेहत का खासा ध्यान रखने की जरूरत है. 

मरीज की पहचान करना मुश्किल नहीं

डॉ. रमेश भारमल ने कहा कि कोरोना मरीज और आम फीवर के मरीज को पहचानने में अब मुश्किल नहीं होती. कोरोना के मरीजों की सेहत जल्दी खराब होती है. जबकि आम फीवर के मरीज का स्वास्थ्य उतना प्रभावित नहीं होता. डॉक्टरों को भी पिछले 6 महीने में काफी अनुभव हो गया है. टेस्टिंग के भी कई विकल्प उपलब्ध है जिसकी मदद से महज 15 से 20 मिनट में यह तय हो जाता है कि मरीज कोरोना से ग्रसित है या उसे केवल मौसमी फीवर है.