महाराष्ट्र का राजनीतिक पायलट कौन?

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  • बीजेपी की किसके साथ पक रही है खिचड़ी
  • राजनीतिक हलकों में सरगर्मियां तेज
  • भाजपा एवं आघाड़ी के अपने अपने दावे

मुंबई. कर्नाटक, मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अब राजस्थान में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए इस बात की सुगबुगाहट शुरु हो गई है कि महाराष्ट्र में भी सत्ता परिवर्तन को लेकर सियासी खिचड़ी पक रही है. जिसको लेकर राज्य की महाविकास आघाड़ी सतर्क हो गयी है और प्रत्येक राजनीतिक गतिविधियों पर नज़र लगाए हुए है. सत्तारूढ़ दलों में से महाराष्ट्र का सचिन पायलट कौन बन सकता है, इसको लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है.

   पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस प्रत्येक सभाओं में यह दावा कर रहे थे कि उनकी सरकार वापस आने वाली है. चुनाव बाद महायुति को बहुमत भी मिला, लेकिन फडणवीस को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में शिवसेना ने अड़ंगा लगा दिया.कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से शिवसेना के उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना बीजेपी को कत्तई रास नहीं आ रहा है.

बीजेपी का ऑपरेशन लोटस जारी!

सूत्र बताते हैं कि बीजेपी का ऑपरेशन लोटस जारी है. इसी वजह से बीजेपी के नेता बयान दे चुके हैं कि अक्टूबर माह में कुछ अप्रत्याशित होने वाला है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार सहित सत्तारूढ़ दल के नेता सरकार के 5 साल चलने के दावे तो कर रहे हैं, लेकिन शिवसेना प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत गाहेबगाहे यह बयान देते रहे हैं कि बीजेपी सरकार गिराने का प्रयास कर रही है.राउत यहां तक कह चुके हैं कि राज्य में बीजेपी सरकार बनाने का प्रयास कर रही है, इसलिए राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी विधानपरिषद के 12 सदस्यों की नियुक्ति लटकाए हुए हैं.आघाड़ी सरकार गिरने के बाद बीजेपी अपने लोगों को विधानपरिषद में भेज सकेगी.हालांकि संजय राउत यह भी कहते रहे हैं कि महाराष्ट्र की सरकार सुरक्षित है और पूरे पांच साल चलेगी.

बीजेपी ने सरकार बनाने की पूरी कोशिश की थी

 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में  बीजेपी के 105, शिवसेना के 56, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं. छोटे दलों एवं निर्दलीय दो दर्जन विधायक बीजेपी एवं महाविकास आघाड़ी के खेमों में बंटे हुए हैं. विधानसभा चुनाव बाद शिवसेना के अलग होने के बावजूद बीजेपी ने सरकार बनाने की पूरी कोशिश की थी. पार्टी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ भी दिलाई थी, लेकिन कुछ ही घंटों बाद पासा पलट गया.अब अजित पवार शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार में उप मुख्यमंत्री हैं.   

ताकतवर नेता की तलाश 

महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी को लेकर बीजेपी के मंसूबे पस्त नहीं हुए हैं.पार्टी की निगाह कांग्रेस , शिवसेना और एनसीपी की कमज़ोरियों पर है.वह यहां वैसा ताकतवर नेता तलाश रही है जिसके साथ 20 से अधिक विधायक फिर से चुनाव मैदान में जाने की हिम्मत रखते हैं.इसके लिए पार्टी कुछ भी करने की तैयारी की है.  

बग़ावत करना मुश्किल 

हालांकि जानकारों का मानना है कि बीजेपी को मध्य प्रदेश या राजस्थान जैसी स्थिति पैदा कर पाना आसान नहीं है. जिन्हें सत्ता के लिए पार्टी छोड़कर बीजेपी में जाना था वो लोकसभा चुनाव के पहले ही चले गए थे. फिर चाहे वो शिवसेना के हों, कांग्रेस के हों या एनसीपी के. अभी जो लोग मूल पार्टियों में बने हुए हैं वो अपनी राजनीतिक विचारधारा से कुछ न कुछ वास्ता तो ज़रूर रखते हैं. अगर कुछ लोग जाना भी चाहें तो उन्हें अपनी विधायकी बरक़रार रखने के लिए दल-बदल क़ानून के तहत कम से कम दो तिहाई की संख्या में पार्टी छोड़नी होगी और इतनी बड़ी संख्या में विधायकों का ख़तरा मोलकर बग़ावत करना मुश्किल लगता है.बीजेपी के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि महाराष्ट्र में किसी नेता को नहीं, बल्कि पूरी पार्टी को हाइजेक करने की रणनीति पर काम हो रहा है.