Who will take care of the British Era Fountain

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मुंबई. दादर पश्चिम (Dadar West) में गोखले रोड साउथ आशीष इंडस्ट्रियल इस्टेट (South Ashish Industrial Estate) के गेट के सामने फुटपाथ पर ब्रिटिश कालीन फाउंटेन (British Era Fountain) आज तिरस्कार के बावजूद अपने दमखम पर खड़ा है। इसे बीएमसी (BMC) की बेरुखी ही कहा जाएगा कि देश आजाद होने के बाद न तो इसे हटा पाई है और नहीं इसे संरक्षित कर सकी है।

दादर में रहने वाले आसपास के उम्रदराज लोग बताते है कि अंग्रेजी शासनकाल में जब अंग्रेज सैनिक घोड़ों से चलते थे और घोड़ा गाड़ी और बैलगाड़ी चलती थी तब घोड़ों और बैलों को पानी पीने की यहां नाद हुआ करती थी। 

पानी पीने की यहां नाद हुआ करती थी

रमेश शर्मा ने बताया कि झंडू कंपनी के अंदर एक बड़ा कुंआ है, उस कुंए में से भिश्ती में पानी भरकर नादों में डाला जाता था। उन्होंने कहा कि उस समय कुलाबा से दादर तक घोड़ा गाड़ी चलती थी। करीब 2 किमी. के अंतराल पर जानवरों की पानी पीने के लिए नाद हुआ करती थी, अब शायद कुछ स्थानों पर उसका अवशेष बचा है।

सुंदरीकरण कर इसे संरक्षित करने की मांग

श्याम कन्हैया राय ने कहा कि पुराने समय में इस क्षेत्र में कोली समाज का अधिपत्य था जो वर्तमान में वरली कोलीवाड़ा तक सीमित रह गए हैं। कोली समाज के लोगों ने समाजसेवा के क्षेत्र में कई उपक्रम चलाए । फाउंटेन का संरक्षण भी उन्होंने लंबे समय तक किया, मगर जब उक्त जमीनें मनपा के अधीन आ गई तो मनपा को इसका देखरेख करना चाहिए। दादर के लोगों का मानना है कि इस फाउंटेन का सुंदरीकरण कर इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।