- 600 निजी अस्पताल शहर में उपलब्ध
- 150 हॉस्पिटल दे रहे सेवाएं
नागपुर. कोरोना का संक्रमण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. इस स्थिति में प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही कोरोना की सेवाएं दे रहे पूरे महकमे को सहयोग करने की आवश्यकता है. वर्तमान में शहर के कुल 600 निजी अस्पतालों में से लगभग 150 अस्पताल कोविड मरीजों की सेवा कर रहे हैं. इस सेवाकाल में लगभग 120 डॉक्टर्स भी संक्रमित हो चुके हैं. स्वयं की जान खतरे में डालकर सभी स्वास्थ्य कर्मचारी मरीजों की जान बचाने में जुटे हुए हैं. अत: उन्हें सहयोग करने की अपील डॉ. मनीष शेंबेकर और डॉ. कमलाकर पवार ने की. मनपा और आईएमए के संयुक्त तत्वावधान में कोविड संवाद फेसबुक लाइव कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विशेषज्ञों द्वारा लोगों को मार्गदर्शन किया गया.
बेवजह घर से न निकलें
दोनों विशेषज्ञों का मानना था कि कोरोना की चपेट में न आएं इसके लिए प्रशासन की ओर से लगातार कोरोना नियमों का पालन करने की हिदायत दी जा रही है. अपनी वजह से दूसरों को कोरोना न हो, यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है. कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए नियमों का पालन भी जरूरी है जिससे बेवजह घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. बाहर निकलना अति आवश्यक हुआ तो मास्क का उपयोग, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन किया जाना चाहिए. सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि इन विपरीत परिस्थितियों में भी खुश रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि वैद्यकीय क्षेत्र में एनेस्थेसिस्ट की तुलना प्लेन के पायलट से होती है. ऑपरेशन के पूर्व मरीज को दर्द भुलाने के लिए एनेस्थेशिया दिया जाता है. यहां तक कि ऑपरेशन के बाद उस स्थिति से मरीज को बाहर भी निकालना पड़ता है.
मरीजों को ऑक्सीजन थेरेपी देना जरूरी
दोनों विशेषज्ञों का मानना था कि कोरोना की इस परिस्थिति में एनेस्थेसिस्ट महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं. कोरोना से बाधित मरीजों को ऑक्सीजन देना पड़ता है. कई बार मरीजों को आईसीयू में रखना पड़ता है. मरीजों को कितना ऑक्सीजन दिया जाए, किस तरह से दिया जाए, यह बीमारी की तीव्रता पर निर्भर करता है. किस मरीज को ऑक्सीजन थेरेपी देना जरूरी है, उसे किस तरह से लाभ होगा यह तय करने व उसके अनुसार ही उपचार करने में एनेस्थेसिस्ट की भूमिका महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि यदि किसी कोरोना मरीज पर ऑपरेशन करने की आवश्यकता पड़ी तो कोविड अस्पताल में ही ऑपरेशन किया जाना चाहिए. ऐसे समय ऑपरेशन करनेवाली टीम को अधिक खतरा रहता है. संभवत: ऐसे मरीजों को जनरल एनेस्थेसिया देना टाला जाना चाहिए. कोरोना के इस काल में बुखार, खांसी, सांस लेने में यदि परेशानी हो रही हो तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. टेस्ट कराने के बाद तुरंत डॉक्टर की सलाह ली जानी चाहिए. गर्भवती महिलाओं के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे को कोई खतरा नहीं है जिससे ऐसी माताओं ने किसी तरह की चिंता नहीं करनी चाहिए.