- नियोजन, सतत संपर्क बना जीत का हथियार
- नवनिर्वाचित विप सदस्य अभिजीत से ‘नवभारत’ की चर्चा
नागपुर. किसी भी चुनाव को जीतने के लिए नियोजन और सहयोग जरूरी होता है. 2 साल पहले से ही नियोजन के तहत मतदाता पंजीयन शुरू हो गया था. इसके बाद संपर्क अभियान आरंभ किया. महाविकास आघाड़ी होने से लाभ मिला और विधायक बनने की पुरानी ख्वाहिश पूरी हो गई. नवनिर्वाचित विधान परिषद सदस्य अभिजीत वंजारी मानते हैं कि अगले 6 वर्ष स्नातकों और युवाओं के विकास और कल्याण के कार्यों में लगाएंगे.
स्नातक निर्वाचन चुनाव में 6 जिलों के मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. बैलेट पद्धति से हुई वोटिंग की वजह से ही मतगणना में अधिक समय लगा. इस सीट पर अब तक भाजपा का दबदबा रहा था. लेकिन अभिजीत ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाते हुए पहली बार जीत हासिल की. उन्होंने ‘नवभारत’ से चर्चा में बताया कि महाविकास आघाड़ी होने से काफी लाभ मिला. कांग्रेस के साथ ही राकां, शिवसेना सहित अन्य सहयोगी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी थी.
इस बार नये सिरे से मतदाताओं का पंजीयन किया गया था. इसके लिए 2 वर्ष पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी. सबसे पहले मतदाताओं का पंजीयन कराना था. पंजीयन होने के बाद प्रचार का कार्य शुरू हुआ. सभी 6 जिलों में जाकर मतदाताओं से संपर्क किया. स्कूल, कॉलेज, नेता सहित स्नातकों तक पहुंचकर एक अवसर देने की अपील की. ग्रामीण भागों में संगठनात्मक तरीके से कार्य करने का ही नतीजा है कि जीत हासिल की. सभी तबके के कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई है. भाजपा के गढ़ में ‘सेंध’ एक बड़ी जीत है.
कार्यकर्ताओं के साथ सारी रात जागते रहे
अभिजीत के प्रचार अभियान से लेकर तो नियोजन की जिम्मेदारी संभालने वाली उनकी पत्नी स्मिता वंजारी ने बताया कि जीत से सभी खुश हैं. मतदान के दिन परिणाम को लेकर उत्सुकता के साथ ही टेंशन भी था. गुरुवार को सुबह स्नान के बाद अभिजीत घर पर ही थे. धीरे-धीरे कार्यकर्ता भी इकठ्ठा होने लगे. करीब 2 बजे जब मतों की गणना आरंभ हुई तो मानकापुर के लिए निकले. पहले राउंड में लीड मिलने के बाद सभी के चेहरे खिल गये थे. चौथे राउंड तक चित्र स्पष्ट हो गया था. उसके बाद अभिजीत मतगणना केंद्र के भीतर गये. सारी रात वहीं रहे. सुबह 6.30 बजे घर आने के बाद फ्रेश हुए. घर में आने के बाद मां का आशीर्वाद प्राप्त किया.
फिर पत्नी, बेटी देविका, बेटे राजवर्धन के साथ गणेश टेकड़ी मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे. वहां से सीधे मानकापुर गये. पदाधिकारियों के साथ ही विभागीय आयुक्त से मिलकर प्रमाणपत्र हासिल किया. सारी रात का जागरण होने के बाद भी जीत की खुशी ने तनाव को दूर कर दिया. स्मिता ने बताया कि 2 वर्षों की मेहनत से लग रहा था कि इस बार सफलता मिलेगी. सभी ने सहयोग किया और भरपूर मदद भी की. कार्यकर्ताओं सहित मतदाताओं का संकल्प ही रहा कि पहले राउंड से ही लीड मिलती गई.