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  • कोरोना की मार, 466 करोड़ की कटौती

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नागपुर. कोरोना के इस संकटकाल में मनपा की आय पर भी इसका विपरित असर पड़ने का कारण देते हुए स्थायी समिति सभापति पींटू झलके ने भले ही 2731 का बजट पेश करते हुए इसे वास्तविक और परिस्थितियों के अनुसार बजट करार दिया हो, किंतु लगभग 14 वर्षों बाद मनपा में कटौती का बजट पेश किया गया है.

वित्तिय वर्ष 2019-20 के लिए तत्कालिन सभापति द्वारा 3197 करोड़ का बजट पेश किया था. जिसके अनुसार वित्तिय वर्ष 2020-21 के लिए 466 करोड़ रु. कम का बजट पेश किया गया है. बजट में सर्वाधिक आय राज्य सरकार से प्राप्त होनेवाले जीएसटी के अनुदान 1236 करोड़ शामिल है. वास्तविक रूप में मनपा को वित्तिय वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार से कुल 1411.18 करोड़ का अनुदान मिलने की आशा है.

सम्पत्ति कर और जलकर से आय कम

स्थायी समिति सभापति पींटू झलके द्वारा पेश किए गए बजट में वित्तिय वर्ष 2020-21 में सम्पत्ति कर से 223.35 करोड़ और जल प्रदाय के माध्यम से 175 करोड़ प्राप्त होने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि वित्तिय वर्ष 2019-20 में तत्कालीन सभापति की ओर से सम्पत्ति कर से 300 करोड़ से अधिक तथा जलप्रदाय के माध्यम से 225 करोड़ के करीब प्राप्त होने का अनुमान लगाया था. हालांकि इस वित्तिय वर्ष में सम्पत्ति कर और जलकर में अबतक किसी तरह की छूट तो प्रदान नहीं की गई, किंतु मनपा की आय के प्रमुख दोनों स्रोतों से आय कम होने की संभावना जताते हुए उक्त आंकड़ें उजागर किए गए हैं. 

इस तरह होगी आय

एलबीटी – 2.50 करोड़

सम्पत्ति कर – 223.35 करोड़

राजस्व अनुदान – 1411.21 करोड़

जलप्रदाय – 175.00 करोड़

बाजार – 14.75 करोड़

स्थावर विभाग – 12.05 करोड़

अग्निशमन – 3.04 करोड़

नगर रचना – 110.50 करोड़

स्वास्थ्य – 7.39 करोड़

पीडब्ल्यूडी – 2.01 करोड़

अन्य – 538.20

इस तरह होगा खर्च

आस्थापना खर्च – 638.49 करोड़

प्रशासकीय खर्च – 72.46 करोड़

दुरुस्ती और सुस्थिति – 439.19 करोड़

योजनाओं पर खर्च – 210.19 करोड़

पूंजी निवेश – 867.32 करोड़

पूंजी अनुदान – 283.56 करोड़

कर्ज भुगतान – 80.11 करोड़

अनुदान खर्च – 61.71 करोड़

जमा खर्च  – 65.67 करोड़

अग्रीम खर्च – 12.05 करोड़

संतुलित और वास्तविक बजट : जोशी

महापौर संदीप जोशी ने कहा कि प्रत्येक स्थायी समिति सभापति को अपने कार्यकाल में नई-नई योजनाओं पर काम करने की इच्छा रहती है, लेकिन कोरोना के संकट के कारण झलके को समय नहीं मिल पाया. यहां तक कि वित्तिय स्थिति पर भी असर पड़ा है. सम्पत्ति कर और पानी कर पर से जुर्माना माफ करने का प्रयास हो रहा है. यदि राज्य सरकार से 7वां वेतन आयोग देने को हरी झंडी मिलती है, तो इसका भी पालन किया जाएगा. बहरहाल ऐसी विपरित परिस्थितियों में भी संतुलित और वास्तविक बजट पेश किया गया है.