gorewada, Leopard Cubs

  • अकोला के पातूर जंगल से लाये थे गोरेवाड़ा

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नागपुर. गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में रह रहे 3 तेंदुए के शावकों को आखिरकार उनके माता पिता मिल ही गये. अकोला से गोरेवाड़ा लाए गए 4 अनाथ शावकों में से 3 को वन्यजीव प्रेमियों ने गोद लिया हैं. हर एक शावक के देखभाल के लिए गोरेवाड़ा व्यवस्थापन को 50,000 रुपये दिये गए है. चार में से एक नर शावक को एआर कन्स्ट्रक्शन ने गोद लिया और उसका नाम ‘मुफासा’ लिया है. वहीं डॉ. आयुषी देशमुख ने मादा शावक को गोद लेकर उसका नाम ‘हंटर’ रखा. तीसरी मादा शावक का नाम डॉ. रोशन भिवापुरकर ने ‘डायना’ रखा. कुछ ही दिन पहले इसकी प्रक्रिया पूरी की गई है.

गौरतलब है कि 30 जून को अकोला जिले के पातूर वनपरिक्षेत्र के मोर्णा नदी के किनारे तेंदुए के 4 शावकों को अनाथ अवस्था में देखा गया. स्थानीय निवासियों ने इसकी सूचना तुरंत वनाधिकारियों को दी. अधिकारियों ने तत्काल घटना स्थल पर पहुंच शावकों को अपने कब्जे में लिया. जांच में सामने आया कि जन्म देने के बाद मादा अपने शावकों को छोड़कर चले गई. बावजूद इसके वनअधिकारी व कर्मचारी कई दिनों तक उनकी मां के लौटने की राह देखते रहे.

मां के नहीं लौटने पर कुछ दिनों तक स्थानीय वहीं रखकर उनकी निगरानी की गई. कई दिनों तक इंतजार करने के बाद अंत: 16 जुलाई को इन शावकों को गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में लाया गया. तेंदुए के शावकों को अलावा बाघ, अन्य तेंदुए और भालू को भी गोद देने की तैयारी शुरू है. वहीं बचे हुए एक शावकों को भी जल्द ही कोई वन्यजीव प्रेमी गोद लिये जाने की संभावना जताई जा रही है.